जोहार छत्तीसगढ़-खरसिया।
छ.ग. शासन द्वारा किसानों से खरीदी किए गए धान को उपार्जन केन्द्र अथवा समितियों से संग्रहण केन्द्र तक परिवहन किये जाने वाले कार्य में लगातार कई वर्षों से कुछ परिवहन ठेकेदारों के द्वारा अपना एकाधिकार बनाकर शासन को करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष का चूना लगाने का मामला प्रकाश में आया है, जिसमें परिवहन की गयी दूरी को ज्यादा बता कर शासन की आंखों में धूल झोंकते हुये कई वर्षों से इस गड़बड़झाले को बेखौफ अंजाम दिया जा रहा है, इस मामले में जिला विपणन अधिकारी की संलिप्तता भी प्रकाश में आई है। विदित हो कि शासन के द्वारा किसानों से खरीदे गये धान को समितियों में रखा जाता है जहां से संग्रहण केन्द्रों तक धान का परिवहन का कार्य करने वाले ठेकेदारों के द्वारा पिछ़ले कई वर्षों से सक्ती जांजगीर चांपा जिले में संग्रहण केन्द्र से समितियों तक की दूरी को बढ़ा कर शासन से भाड़ा लिया गया है। धान उपार्जन समिति से धान संग्रहण केंद्र में परिवहन हेतु परिवहन दर प्रतिटन प्रति किलोमीटर के अनुसार तय किया जाता है जिसके तहत 8 किलोमीटर से 15 किलोमीटर, 25 किलोमीटर, 50 किलोमीटर, 75 किलोमीटर की दूरी तक का स्लैब होता है जिसमें 15 किलोमीटर, 25 किलोमीटर में आने वाली धान समिति की दूरी बढ़ाकर 50 किलोमीटर से 75 किलोमीटर के स्लैब में कर दी जाती है ऐसे में 150 से 160 रुपए के परिवहन भाड़ा को 300 से 350 रुपए का परिवहन बिल बनाया गया है इसी प्रकार ढाई सौ रुपए अधिकतम के परिवहन भाड़ा को 500 से 550 का बिल बनाकर शासन से भाड़ा लिया गया है। जांजगीर चांपा जिले में 2015-16 तथा इसके पूर्व के वर्षों में परिवहन ठेकेदार से परिवहन बिल डीएमओ ऑफिस में जमा लिया जाता था जिसकी दूरी पूर्व नियोजित तरीके से बढ़ाई गई होती थी जिसे जिला विपणन अधिकारी के द्वारा पीडब्ल्यूडी विभाग से सत्यापन कर कर फर्जी भुगतान किया गया है इस तरह से इस फर्जीवाड़े में डीएमओ व पीडब्ल्यूडी विभाग प्रत्यक्ष रूप से संलिप्त है। वर्ष 2015-16 में डीएमओ विभाग जांजगीर चांपा एवं पीडब्ल्यूडी विभाग से सत्यापित दूरी का प्रमाण पत्र भी उपलब्ध है जो कि इस भारी भ्रष्टाचार को प्रमाणित करता है इस तरह वर्ष 2015-16 वह इससे पूर्व के वर्षों के परिवहन की सूक्ष्मता से जांच आवश्यक है जिससे कई करोड़ की भ्रष्टाचार का उजागर होना तय है। वर्तमान में धान उपार्जन समितियां से समस्त संग्रहण केद्रों की दूरी को ऑनलाइन चढ़ाया गया है आधुनिक पद्धति से दूरी की नाप कर ऑनलाइन चढ़ाई गई है जिसमें भी तथाकथित परिवहन ठेकेदार शक्ति जिले में अपना एकाधिकार बनाकर अत्यधिक बढ़ाई गई दूरी का भुगतान ले रहे हैं।
* ऐसे होता है पूरा खेल
संग्रहण केन्द्रों से समितियों तक की दूरी को बढ़ाने के इस खेल में ठेकेदार सहित पूरा विभाग संलिप्त है, विभागीय अधिकारी के संरक्षण में भ्रष्ट्राचार के इस पूरे खेल को परिवहन ठेकेदारों के द्वारा बेखौफ खेला जा रहा है, जिसका ज्वलंत उदाहरण ड़भरा संग्रहण केन्द्र से सिरियागढ़ उपार्जन केंद्र का है जिसकी वास्तविक दूरी 4 किलोमीटर है जिसका 24 किलोमीटर की दूरी का परिवहन देयक बनाया जा रहा है। इसी प्रकार पूर्व में भी ड़भरा से ही आमनदूला, भदौरा, देवरघटा, अमलड़ीहा, धूरकोट, बघौत, दर्री की वास्तविक दूरी से लगभग दुगुनी दूरी का भाड़ा लिया गया है वहीं बोड़ासागर सेरो संग्रहण केन्द्र से खजुरानी, जैजैपुर, तुशार, आमगांव, कचंदा, मालखरौदा, मुक्ता, बड़े सीपत की वास्तविक दूरी से दुगुनी दूरी दर्शाकर दुगुना भाड़ा लिया गया है। आनलाईन बिल की उपलब्ध कापी के अनुसार अधिकतर समितियों की दूरी को दुगुना दर्शाकर शासन को करोड़ों का चूना अधिकारियों और परिवहन ठेकेदारों के द्वारा हर साल लगाया जा रहा है। मामले का खुलासा तब हुआ जब एक परिवहनकर्ता के द्वारा आनलाईन बिल निकाला गया और दूरी अधिक होने पर मार्कफेड़ के प्रबंध संचालक को शिकायत करते हुये अपना भुगतान नहीं लिया गया, परिवहन स्लैब की दूरी बढ़ाकर भ्रष्ट्राचार किये जाने के अलावा अच्छी क्वालिटी के धान को बदलकर अमानक स्तर के धान को संग्रहण केन्द्र में जमा किये जाने की आशंका भी शिकायतकर्ता ने अपने शिकायती पत्र में व्यक्त की है, बहरहाल इस मामले में सक्ती डीएमओ से चर्चा करने पर उनके द्वारा गोलमोल जवाब देते हुये कहा गया कि आप आफिस आ जाईये आपको जानकारी दे दी जायेगी, जब हमारे संवाददाता द्वारा उनसे फोन पर ही जानकारी देने का अनुरोध किया गया तो उनके द्वारा कहा गया कि आप व्हाटसएप कर दीजिये मैं चेक करके बता दूंगी किंतु व्हाट्सएप्प करने के बाद भी उनके द्वारा इस संबंध में कोई जानकारी प्रदान नहीं की गयी।
* कहां गड़बड़ी है बता दीजिये मैं चेक करवा के बता दूंगी।
शोभना तिवारी,जिला विपणन अधिकारी सक्ती