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इको फ्रेंडली तकनीकों से बनाई गई है सुप्रीम कोर्ट की नई इमारत

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भारत के सुप्रीम कोर्ट की एक और नई इमारत बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन बुधवार को किया जाना है. पुरानी इमारत से लगभग दोगुनी बड़ी इस नई इमारत में तकरीबन 2100 लोगों को समायोजित करने की क्षमता है और यह नई इमारत पुरानी सुप्रीम कोर्ट के साथ 3 अंडरग्राउंड पैसेज के साथ जुड़ी हुई है. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इस नई इमारत का निर्माण खास ढंग से किया है और ये भी कहा जा रहा है कि विभाग ने अब तक की ये सबसे बड़ी इमारत बनवाई है. इस नई इमारत के बारे में क्या खास है, ये जानना दिलचस्प है.

नई दिल्ली में प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के नज़दीक बनाई गई इस नई इमारत के निर्माण के पीछे मुख्य वजह भारी ट्रैफिक रहा है. ट्रैफिक और पार्किंग की समस्याओं के चलते भगवानदास रोड स्थित सुप्रीम कोर्ट की पुरानी इमारत के पास अक्सर जाम और गहमागहमी की स्थिति बनती रही थी. अब नई इमारत में 1800 कारों की पार्किंग के लिए अंडरग्राउंड जगह है और तमाम सहूलियतों के साथ ही, इमारत को इको फ्रेंडली बनाने की तरफ भी ध्यान रखा गया है.

इको फ्रेंडली स्ट्रक्चर पर खास ध्यान

सुप्रीम कोर्ट के वकीलों, जजों और मुकदमे के संबंध में आने वाले लोगों को ज़्यादा सुविधाएं देने के लिहाज़ से बनाई गई इस नई इमारत की संरचना को पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर खास ध्यान दिया गया है. इस नई इमारत में बड़ी और ज़्यादा खिड़कियां बनाई गई हैं ताकि कुदरती रोशनी भरपूर आ सके. दूसरी ओर इमारत की छत पर एक बड़ा सोलर पैनल लगाया गया है और बिजली के लिए सेंसर तकनीक अपनाई गई है यानी ज़रूरत के मुताबिक बिजली अपने आप चालू या बंद होगी.

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