जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
ग्रामीण क्षेत्र का विकास का जिम्मा ग्राम पंचायत के सचिव का होता है, लेकिन अधिकारियों के भ्रष्ट नीतियों के कारण ग्राम पंचायत का विकास ठप्प पड़ता दिखाई दे रहा है। धरमजयगढ़ जनपद पंचायत का हाल तो ये है कि एक पंचायत सचिव को तीन-तीन पंचायत का प्रभार दे दिया गया है। तीन पंचायत का प्रभार होने के कारण ग्राम पंचायत में किसी भी प्रकार को कोई विकास कार्य या फिर कहा जाये तो ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधा नहीं मिल पा रहा है। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसा सचिव का जिसके पास तीन पंचायत का प्रभार है और एक पंचायत से दूसरे पंचायत कि दूरी 50 किलोमीटर पर है, अब आप सोच सकते हैं कि ग्राम पंचायत सचिव क्या काम करते होंगे ग्रामीणों के लिए? बाकारूमा पंचायत सचिव के सचिव धनेश्वर सिदार को जनपद पंचायत अधिकारी ने 2 पंचायत का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जिससे कोई भी पंचायत में विकास कार्य नहीं हो रहा है। ऐसे तो पंचायत सचिव अपने मुख्यालय में रहते नहीं है। मुख्यालय में नहीं रहने के कारण पहले ही बाकारूमा पंचायत का हाल बेहाल है और अब अधिकारियों के भ्रष्ट नीतियों के कारण और दो पंचायत का भी बंटाधार करने का जिम्मा सचिव धनेश्वर सिदार को दे दिया गया है।
मुख्यालय से नादारत सचिव से ग्रामीणों में नाराजगी
ऐसे तो सचिव साहब अपना मुख्यालय विकास खण्ड में बना रखे हैं जिसके कारण पंचायतों का विकास कार्य पूरी तरह ठप्प हो गया है। जबकि शासन के नियमानुसार अधिकारी कर्मचारियों को मुख्यालय में रहना होता है लेकिन धरमजयगढ़ में शासन का ये नियम कोई मायने नहीं रखता है। पंचायत सचिव को हर दिन पंचायत में रहना होता है अब आप ही सोचिए की सचिव धनेश्वर सिदार के पास जो तीन पंचायत का प्रभार है उसकी दूरी कई-कई किलोमीटर दूर है फिर सचिव साहब पंचायत जाते कैसे होंगे। ग्राम पंचायत बाकारूमा, राजकोट और कमोसिनडांड का एक ही सचिव होने के कारण विकास कार्य शून्य हो गया है। अब हम बात करें ग्राम पंचायत कमोसिनडांड की तो इस पंचायत में लगता है कि एक भी काम नहीं हुआ है, शासन से विकास कार्य के लिए मिले राशि का खुलकर बंदरबांट कर लिया गया है। यह हाल सिर्फ एक ही पंचायत का नहीं है बाकी पंचायत का भी हाल बूरा है। मजेदार बात है कि काम करने वाले सचिव के पास सिर्फ एक पंचायत का ही प्रभार है और काम नहीं करने वाले सचिव के पास तीन-तीन पंचायत का प्रभार देना लोगों के समझ से परे हैं।