जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ वन मंडल में वर्षों से हाथी ने अपना ढेरा बना रखा है, अब तक हाथी ने कई निर्दोष लोगों की जान ले चूका है, तो वहीं इंसान भी अब तक सैकड़ों हाथियों की जान ले चूका है। हाथी के डर से ग्रामीण रात-रात जागने को मजबूर हो रहे हैं, धरमजयगढ़ वन मंडल में वर्तमान में हाथियों की संख्या सैकड़ों की तादत में है। हाथी अब नगर के आसपास के जंगल में विचरण कर रहे हैं। आज सुबह ओंगना जाने वाली सड़क पर हाथी का झूंड देखने को मिला। हाथी से सबसे ज्यादा परेशन किसान है, किसानों के खेत में लगे फसल को हाथी भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा रहा है, शाम होते ही किसानों के चहेरे में मायूसी छाने लग जाते हैं ये सोचकर की कब हाथी खेत में पहुंच जाये, और खेत में लगे फसल को चौपट करने लग जाये। वन विभाग भी हाथी समस्या का समाधान निकालने में असफल हो रहे हैं, हाथी आने की खबर वन विभाग को देने के बाद भी वन विभाग समय पर नहीं पहुंचते हैं जिसके कारण लोगों में वन विभाग के प्रति काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों का आक्रोश कभी भी वन विभाग पर फूट सकता है। वन विभाग द्वारा हाथी सहायता केन्द्र खोला तो गया है पर वहा सिर्फ दिखावे के लिए फोन करने पर कोई सहायता नहीं मिलता है।
हाथी समस्या को लेकर वन विभाग ने की बैंठक
क्षेत्र में भारी संख्या में हाथी विचरण करने के कारण वन विभाग की नींद उड़ रखा है, दुर्ग पूजा का समय होने के कारण आधी रात तक लोगों का आना -जाना लगा रहता है, हाथी के साथ आमना-समाना होने का डर बना रहता है, क्योंकि धरमजयगढ़ वन मंडल में लगभग 200 हाथी विचरण कर रहे हैं। दुर्गा का समय को देखते हुए वन विभाग ने सभी विभाग के साथ बैंठक कर हाथी की ममस्या से कैसे निपटा जाये इस पर चर्चा करते हुए क्षेत्रवासियों से अपील की है कि हाथी के साथ कोई छेड़छाड़ न करें, हाथी आने की खबर लगते ही इसकी खबर हाथी सहायता केन्द्र को दे। हाथी के साथ छेड़छाड़ करने पर हाथी हमला भी कर सकता है जिससे जान भी जा सकता है।