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तबादला की आदेश को ठेंगा दिखा रहे घरघोड़ा एस.डी.एम ,फरवरी में हुआ था तबादला, श्रमजीवी पत्रकार संघ ने सांसद को सौंपा पत्र, एसडीएम को करें कार्यमुक्त

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जोहार छत्तीसगढ़-घरघोड़ा।
सरकारी काम को भ्रष्टाचार मुक्त रखने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से शासन अफसरों का समय-समय पर स्थानांतरण आदेश जारी करती है पर कुछ अधिकारी शासन के आदेश को ठेंगा दिखाकर अपनी अलग पैरलल सरकार चलाने की कोशिश में नजर आते हैं ऐसा ही मामला है घरघोड़ा के अनुविभागीय अधिकारी का। घरघोड़ा के अनुविभागीय अधिकारी मोर का ट्रांसफर शासन के आदेश पर 27 फरवरी 2024 को हुआ था परंतु शासनादेश को धत्ता बताते हुये 8 महीनों बाद भी एसडीएम घरघोड़ा कुर्सी से चिपके हुए हैं और उन्हें आज पर्यंत न कार्यमुक्त किया गया न उन्होंने अपने स्थानांतरित स्थान पर जोइनिंग लिया। इस तरह शासन के आदेश के बाद भी जबरदस्ती घरघोड़ा में ही कर्तव्य निर्वहन की जिद पर अड़े एसडीएम को कार्यमुक्त करने अब श्रमजीवी पत्रकार संघ ने बाकायदा लिखित में सांसद राधेश्याम राठिया को पत्र सौंप कर एसडीएम को कार्यमुक्त करने की मांग की है।
एस डी एम की कार्यप्रणाली से लोग नाराज


सौंपे गए पत्र में उल्लेख है कि घरघोड़ा एसडीएम मोर की कार्यप्रणाली से जनता में आक्रोश है उनके द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण देने ,संतोषजनक सुनवाई न करने जैसी ढेरो शिकायते हैं। जिस पर स्थानांतरण के बाद भी उनका घरघोड़ा एस डी एम की कुर्सी न छोडऩे से आम लोगो मे गुस्सा बढ़ता जा रहा है ऐसे में पत्र के माध्यम से सांसद महोदय से निवेदन किया गया है कि घरघोड़ा एस डी एम को त्वरित रूप से स्थानांतरित स्थान हेतु कार्यमुक्त किया जाए ।
कहीं कोल ब्लॉक और मुआवजा की वजह तो नहीं
स्थानांतरित होने के आठ माह बाद भी कुर्सी पर जमे रहना और लगातार शिकायतों एवं अखबारों में कारनामो की सुर्खियों के बाद भी घरघोड़ा एस डी एम के पद पर कार्य करने की जिद की वजह कहीं घरघोड़ा के आस पास के क्षेत्रों के कोल ब्लॉक और करोड़ों के मुआवजे से सम्बंधित तो नहीं है। ऐसे प्रश्न अब उठने लगे हैं क्योंकि हाल फिलहाल में घरघोड़ा क्षेत्र में कोल ब्लॉक के विस्तार से करोड़ों का मुआवजा दिया जाना है जिसमे एस.डी.एम कार्यालय घरघोड़ा का अहम रोल होता है ऐसे में ये अटकलें भी लगने लगी हैं कि रिलीविंग न लेने के पीछे करोड़ो के मुआवजे और कॉल ब्लॉक कारण हो सकता है । अब पत्रकारों के लिखित में मांग के बाद शासन अपने अधिकारी की स्वेच्छाचारिता पर क्या रुख अख्तियार करता है।

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