जोहार छत्तीसगढ़-रायपुर।
गांधी जयंती दिवस पर रायपुर में आयोजित संयुक्त महासभा जिसमें छत्तीसगढ़ के सभी संगठनों ने एक साथ ऐतिहासिक आंदोलन साथ मिलकर किया। नव छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह पहला मौका था जहां पूरे प्रदेश भर के पत्रकारों ने अपनी एक ही मांग पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग बुलंद किया। हालांकि पत्रकारों की कई अन्य मांगे है। पिछली सरकार ने चुनाव के वक्त देश में छत्तीसगढ़ राज्य को पत्रकार सुरक्षा कानून बना कर प्रदाय कर मॉडल बनाने अपने चुनावी घोषणा पत्र में रखा। लेकिन उनकी सरकार के अंतिम वक्त पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में ड्राफट बनाया जो ड्राफट यह ग्राउंड जीरो में काम कर रहे अंतिम छोर के पत्रकारों के लिए कोई काम का नहीं रहा जहां उनके हित के लिए कोई पाईंट ली गई हो। अलबत्ता यह पत्रकारों के लिए झुनझुना ही साबित हुआ। पत्रकारों ने अपनी एक ही मांग पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए पुन: लामबंद होना शुरू किया। अंतत: सफलता की किरण तब दिखी जब समूचे छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में रायपुर में एक महासभा के रूप में आयोजन किया गया।
प्रथम दौर में प्रदेश के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। दूसरी बार पैदल कूच करते सभी पत्रकार मुख्यमंत्री निवास कूच करने वाले थे कि मुख्यमंत्री के निवास में नहीं होने की बात बतलाई गई। फिर भी पत्रकार अपनी आवाजें बुलंद करते नारे लगाते मुख्यमंत्री निवास कूच किए तो बेरिकेटिंग लगा दी गई। ताकि पत्रकार अंदर ना आये। कुछ देर में पुलिस के उच्चाधिकारी सहित एसडीएम ने पत्रकारों के बीच आकर ज्ञापन स्वीकार किया। हालांकि पत्रकार संगठन मुख्यमंत्री के नहीं होने के चलते ज्ञापन नहीं सौंप पाने का मलाल दिखा। लेकिन संगठन यह मानता है कि अब वे कदापि हार नहीं मानेंगे। इस ज्ञापन के बाद यदि कोई एक्शन होते नहीं दिखा तो पुन: अनिश्चितकालीन धरने पर भी जा सकते हैं। इसके साथ प्रत्येक पत्रकार अपनी मांग पूरी होते तक शासन-प्रशासन की खबरों पर भी अपने कलम को विराम दे सकते हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ की राजधानी में संयुक्त पत्रकार महासभा के रूप में वो शक्ति आई है,जो अब इस प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून जो पत्रकारों का अधिकार है, लेकर रहेगी। यह बताना लाजिमी होगा कि संयुक्त महासभा के रूप में इस शक्ति संगठन के लिए वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला,पीसी रथ के साथ ही यहां के अन्य सभी संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष तथा जिलों में गठित संगठनों के जिलाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों का पूर्ण समर्थन मिला। संयुक्त पत्रकार महासभा ने सभी का आभार माना। आने वाले समय 02 अक्टूबर गांधी जयंती का दिन पत्रकार एकता के रूप में भी जाना जायेगा।