जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
तहसीदार धरमजयगढ़ द्वारा जारी एक ईश्तहार से लोगों में नाराजगी देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि जब तहसीदार को किसी को लाभ पहुंचाना ही है तो फिर ऐसा ईश्तहार किस लिए जारी किया गया है। बिना ईश्तहार की ही भूमि आबंटन कर देना था, मामला है धरमजयगढ़ के बेहरापरा के आदिवासी समाज द्वारा भूमि की मांग की गई है, आदिवासी समाज के मांग पर तहसीदार धरमजयगढ़ द्वारा पेपर प्रकाशन के लिए ईश्तहार जारी किया गया कि किसी को अगर कोई दाव, आपत्ति करना हो तो वह 5 सितंबर 2024 तक दावा आपत्ति कर सकते हैं, निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त दावा, आपत्ति पर कोई विचार नहीं किया जायेगा। अब आप लोग सोच रहे हैं कि इसमें तहसीदार साहब गलत क्या किया है? नियमानुसार पेपर तो प्रकाशन होना ही है, अब हम आपको बताते हैं कि तहसीदार साहब के ईश्तहार पर लोगों ने विरोध क्यों जता रहे हैं, तहसीदार धरमजयगढ़ न्यायालय द्वारा पत्र क्रमांक/1431 वाचक तह./2024 धरमजयगढ़ दिनांक 5/9/2024 के माध्यम से ईश्तहार जारी किया गया है। तहसीदर द्वारा ईश्तहार में लेख किया गया है कि एतद् द्वारा सर्व साधारण जनता को सूचित किया जाता है कि है कि आदिवासी समाज वार्ड नं. बेहरापारा धरमजयगढ़ में प्लाट नं. 1209/1 से रकबा 429 वर्ग मीटर भूमि पर ईसाई उरांव समाज के 40 परिवारों के द्वारा विगत 30 वर्षों से पूजा पाठ को कार्यलय किया जा रहा है जिस कारण उक्त भूमि को आदिवासी उरांव समाज धरमजयगढ़ द्वारा भूमि आबंटन करने का निवेदन किया गया है। अत: उक्त संबंध में ग्रामवासी को सूचित किया जाता है कि आपत्ति दावा पेश करना हो तो 05.09.2024 या इसके पूर्व अपना आपत्ति दापा पेश कर सकते हैं बाद में प्राप्त दावा आपत्ति पर कोई विचार नहीं किया जावेगा।इआज दिनांक 05.09.2024 को मेरे हस्ताक्षर एवं न्यायालय की मुहर से जारी किया गया। अब आप सोचिए कि ऐसा दावा आपत्ति प्रकाशन करवाने का मतलब ही क्या है? साहब जी ने 5 सितंबर 2024 को केस की सुनवाई का तरीख निर्धारित किया है, ईश्तहार जारी 5 सितंबर 2024 को किया और पेपर प्रकाशन 11 सितंबर 2024 को करवाया गया है तो फिर इस मामले में किसको अगर दावा, आपत्ति करना है तो कैसे और कब करेंगे ये है सबसे बड़ा सवाल।