संजीव वर्मा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को 2026 तक खत्म करने का ऐलान किया है। शाह छत्तीसगढ़ के तीन दिवसीय प्रवास के दौरान नक्सलवाद को लेकर अहम बैठक की और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। निश्चित रूप से शाह का यह दौरा कई मायनों में उल्लेखनीय रहा। खासकर नक्सलवाद को लेकर उन्होंने सात राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों की बैठक ली। बैठक में नक्सलवाद को जड़-मूल से खत्म करने के लिए विशेष रणनीति बनाई गई। हालांकि यह खुलासा नहीं किया गया है कि रणनीति क्या होगी। लेकिन जिस तरह से शाह ने हुंकार भरी उससे लगता है कि अब नक्सलियों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे। बैठक के बाद शाह ने दो टूक कहा कि देश से नक्सलवाद को मार्च 2026 से पहले पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि रूथलेस अप्रोच के साथ नक्सलियों के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करना होगा। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने नक्सलियों को चेतावनी दी कि या तो वे आत्मसमर्पण करें, नहीं तो उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सली से जुड़े अंतरराज्यीय मामलों की जांच एनआई, को देनी चाहिए। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलियों के खिलाफ अभियान अब निर्णायक मोड़ पर है। केंद्र सरकार विकास, प्राक्सीक्यूशन और ऑपरेशन के तीनों मोर्चों पर रणनीति के साथ सफल लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि जब तक नक्सलियों को सजा नहीं दिलाएंगे इस समस्या पर काबू नहीं पा सकते। शाह ने नक्सलियों के वित्त पोषण, हथियारों की सप्लाई और उनकी मैन्युफैक्चरिंग पर कड़ाई के साथ रोकथाम पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एनआई, की तर्ज पर ही एसआईए का गठन किया जाएगा। निश्चित रूप से केंद्रीय मंत्री का नक्सली समस्या के समाधान करने का संकल्प पीडि़तों के लिए मरहम का काम करेगा। दरअसल, सामाजिक और आर्थिक विषमताओं से जन्मा नक्सलवाद आज नासूर बन चुका है। ऐसे में इसके समूल नाश के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सहित सभी मोर्चों पर काम करने की जरूरत है। नक्सली राज्य के अत्यंत पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्र में अपना पैठ बनाए हुए हैं और आदिवासियों की आड़ में अपने नापाक मंसूबे पूरा करने में लगे हुए हैं। ऐसे में सरकार को सतर्कता के साथ अपने मिशन को अंजाम देने की जरूरत है, ताकि कोई निर्दोष आदिवासी इसका शिकार ना बने। जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो 8 महीने पहले बनी नई साय सरकार द्वारा नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को अच्छी सफलता मिली है। ऐसा कहा जा रहा है कि नक्सली अब सीमित क्षेत्र में सिमट कर रह गए हैं। पिछले 8 महीने में नक्सल विरोधी अभियान में 147 नक्सली मारे गए हैं तथा 631 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। पुलिस ने 33 सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए हैं। जो ग्रामीणों के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। इसके अलावा राज्य सरकार की नियद नेल्लानार योजना को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। इस योजना के जरिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की आशा जगी है। सड़क, पुल-पुलिया और स्कूल भी खुलने लगे हैं। हालांकि यह काफी नहीं है। लेकिन शुरुआत हो चुकी है, यह अच्छा संकेत है। वहीं, नक्सली गाहे.बगाहे अपनी उपस्थिति दर्ज करते रहते हैं। हाल ही में मुखबिरी के शक में एक युवक की हत्या पीड़ादायक है, जो स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में सरकार को सभी मोर्चों पर काम करने की जरूरत है। आत्म समर्पण नीति एक अच्छा कदम है। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि राज्य सरकार की नई आत्म समर्पण नीति एक माह के अंदर जारी हो जाएगी। अब यह देखना होगा कि इस नई नीति में क्या बातें सामने आती हैं। बहरहाल, शाह ने जिस तरह से मैराथन बैठक लेकर नक्सली समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की बात कही है। वह बेहद अहम है। अब यह देखना होगा कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का उनका लक्ष्य पूरा हो पता है या नहीं!