जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
भोजली त्योहार छत्तीसगढ़ की एक लोक संस्कृति और आंचलिक परंपरा है। यह त्योहार रक्षाबंधन के बाद मनाया जाता है। गेहूं और ज्वार को भिगोकर बांस की टोकरी में मिट्टी और खाद डालकर उसमें बीज बोए जाते हैं। पांच दिन बाद भोजली निकलकर आती है। इसके बाद सात दिनों तक विधि.विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। लोग मानते हैं कि भोजली के नौ दिनों तक पूजा करने से देवी.देवता गांव की रक्षा करते हैं। भोजली का अच्छा होना एक अच्छे फसल का संदेश भी माना जाता है। भोजली त्यौहार के मौके पर आज धरमजयगढ़ की नारईटिकरा की महिलाओं ने भोजली यात्रा निकाली जिसमें सभी महिलाएं और युवतियों ने भोजली की टोकरियां सिर पर रखकर बस स्टैंड होते हुए मांड नदी पहुंच भोजली विसर्जन किया। सभी पारंपरिक रस्मों के साथ नदी में भोजली का विसर्जन किया गया।