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स्कूल भवन हादसे के इंतजार में, मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत करोड़ों खर्च के बाद जर्जर

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जोहार छत्तीसगढ़-बेमेतरा।
बेमेतरा जिले में स्कूल की मरम्मत के नाम पर मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में करोड़ों रुपए आने के बाद भी स्कूल जर्जर होती जा रही है। मरम्मत के लिए कई बार उच्च अधिकारी को अवगत कराने के बाद भी स्कूल जर्जर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जर्जर स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय है दहशत में पढाई कर रहे बच्चों को हमेशा किसी न किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। शासन प्रशासन भी बड़े हादसा का इंतजार कर रहे हैं। आपको बता दें कि 22 सितम्बर 2021 को नवागढ़ ब्लाक के रनबोड़ ग्राम पंचायत के स्कूल में छत का छज्जा गिरने से 6 बच्चे घायल हुए थे। जिसमे दो बच्चों को गंभीर चोट आने से बेमेतरा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां के प्रधान पाठक शिक्षक ओमप्रकाश पाल को निलंबित किया गया था। वही स्थिति नवागढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत घानाडीह प्राथमिक स्कूल में छत के छज्जे में लोहे की राड़ स्पष्ट रूप से तस्वीरों में देखी जा सकती है। वहीं स्कूल की दीवारों में क्रैक व बारिश के दिनों में पानी टपकना आम बात है। प्राथमिक स्कूल रोड पर स्थित होने के कारण बगैर स्कूल अहाता के बच्चों को आए दिन हादसे से गुजरना पड़ता है। स्कूल में बिजली की वायरिंग भी खुले हुए हैं जो कभी भी बड़े हादसों का इंतजार करते हुए स्पष्ट रूप से तस्वीरों में बयां करती देखी जा सकती है। अब सवाल उठना लाजमी है कि मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में जिलों को करोड़ों रुपए मरम्मत के नाम से फ ंडिंग होता है फि र उन पैसों का उपयोग कहां किया जाता है। इसके बाद तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत इनकी मरम्मत और नए भवन की कमी को देखते हुए अतिरिक्त भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। इसके लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग और गृह निर्माण मंडल को जिम्मेदारी दी गई थी। बेमेतरा जिले में तीन अलग-अलग चरणों में स्कूलों की मरम्मत हुई। कक्ष निर्माण के लिए राशि जारी की गई थी। जिसमें ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को एजेंसी बनाकर भारी भरकम बजट के रूप में, करोड़ों से ज्यादा रुपए जारी किए गए। स्कूल मरम्मत और अतिरिक्त कक्ष निर्माण में बहुत बड़ी धांधली की आशंका बनी हुई है। राज्य की भाजपा सरकार नौनिहालों के भविष्य और उनकी जीवन रक्षा के लिए स्कूल मरम्मत और अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए करोड़ों रुपए की राशि जिला प्रशासन को प्रदान की, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आखिर करोड़ों रुपए की मरम्मत के नाम से फंडिंग होने के बाद भी कई स्कूल जर्जर होती जा रही है और प्रशासन की नजर इन स्कूलों पर क्यों नहीं पड़ती है। क्या केवल कागजों में ही एस्टीमेट बनाकर इंजीनियर और भौतिक सत्यापन कर राशि का बंदरबांट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार और प्रशासन क्या कार्यवाही करती है। यह तो भविष्य के गर्भ में है।

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