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एन.एच. 130 सी ठेकेदार की जेसीबी ने छीनी गौरी की हंसती-खेलती जिंदगी,  अपाहिज मां और बीमार पिता की जिम्मेदारी सम्हाल रही बिन विहाई बेटी

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 जोहार छत्तीसगढ़-गरियाबंद।

एन.एच. 130 सी सड़क निर्माण में लगे जेसीबी ने सोनामुंदी के गौरीबाई पाडे की हंसती खेलती जिंदगी को बर्बाद कर दिया। 14 अगस्त सावन के सोमवार का वो काल का दिन था जब गौरी ओडिशा के संधीकुलियारी के प्रसिद्ध शिव मंदिर से पुजा कर लौट रही थी तब एन एच 130 सी के मदांगमुडा से देवभोग सीमा तक बन रहे सड़क में निर्माण में लगी जेसीबी ने देवभोग कालेज के समीप उसे चपेट में ले लिया। यह घटना जेसीबी चालक के लापरवाही से घटित हुआ था। जिसमें गरीब गौरी बाई पांडे ने अपने पैर खो दिये इस घटना के बाद गौरी का परिवार मानो तब से भूखमरी का दंश झेल रहा है और गौरी अब तक दर्द से कराह रही है।

बिन विहाई पुत्री पर बीमार बाप और अपाहिज मां की जिम्मेदारी

गौरी का पति दुर्जन पाडे लम्बे समय से बीमार है उसकी देखभाल दवाई पानी और परिवार का पेट गौरी और उसके पुत्री के मजदूरी से जैसे-तैसे चल जाता था पर जब से एन एच 130 सी सड़क में लगे जेसीबी ने गौरी को अपाहिज कर दिया तब से 32 वर्षीय बिन विहाई पुत्री सत्यवती पर परिवार की जिम्मेदारी आ गया है।

ठेकेदार के लोगों ने रिपोर्ट ना करने के एवज में अच्छी इलाज और भरण पोषण का दिलाया था भरोसा

घटना घटित होने के बाद ठेकेदार के पेंटी कांट्रेक्टर या मुंशी राज अग्रवाल ने परिजन को गौरी के अच्छे इलाज का भरोसा दिलाया था अच्छे इलाज और भरण पोषण के झांसे में लेकर घटना की थाने में शिकायत भी नहीं करने दी इलाज और देखरेख के भरोसे में गौरी की पुत्री सत्यवती पांडे थाने में इसकी शिकायत नहीं कर सकी। कुछ दिन भरोसे में बीत गये ना तो ठेकेदार के मुंशी ने इलाज कराया और ना ही ठेकेदार ने कोई सुध ली। गौरी अपाहिज होने के दर्द झेल रही है और उसकी पुत्री सत्यवती को मां बाप के सेवा के साथ मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार चलाना पड़ रहा है।

धान की अंतर राशि से चुकाया कर्जा अब गुजर बसर के लाले पड़े

सोनामुंदी में गौरी के पास दो एकड़ की खेत है उसने बियालीस क्विंटल धान बेचे थे जिसका अंतर राशि लगभग 30 हजार रुपए हिल ही में जमा हुये ये रूपये भी पहले से इलाज और भरण पोषण के लिये लिये कर्ज चुकाने में चला गया अब कुछ हाथ में बचा नहीं जिसके चलते गौरी और उसके बिन विहाई पुत्री के सामने गुजर बसर की बडी समस्या बन गयी है। इधर सरकार की गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 35 किलो राशन मिल जाता है जो एक सहारे का काम करता है।

मां-बाप की सेवा के लिये बेटी ने छोड़ी अपनी खुशी

गौरी की 32 वर्षीय बिन विहाई पुत्री सत्यवती बताती है वो शादी कर भी लेती पर बीमार बाप और अपाहिज मां की सेवा के लिये उसने अपनी खुशी का त्याग कर दिया है। अगर सड़क ठेकेदार का जेसीबी गौरी को अपाहिज ना कर देता तो शायद अब तक वो घर बसा लेती। इस प्रकार ठेकेदार के जेसीबी चालक के लापरवाही ने गौरी के परिवार को खुशी छीन ली।

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