जोहार छत्तीसगढ़-बलौदाबाजार।
छत्तीसगढ़ की सरकार खेल को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ खिलाडिय़ों को बेहतर सुविधा देने की बात करती है लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है। बात जिला बलौदाबाजार की है जहां जिला बनने के बारह साल बाद भी खेल विभाग का कार्यालय अत्यंत जर्जर भवन में संचालित होने को मजबूर है। खेल मंत्री टंकराम वर्मा के जिले में ही खेल विभाग की ऐसी दयनीय स्थिति चर्चा का विषय बना हुआ है। युवाओं से जुड़ा हुआ यह महत्वपूर्ण विभाग यदि खुद बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, जहां के अधिकारी कर्मचारीगण अव्यवस्थाओं के बीच कार्यालय संचालन कर रहे हो, जिस कार्यालय में प्रवेश करते ही स्थानीय तथा बाहरी खिलाड़ी व खेल से जुड़े हुए लोग कार्यालय को देखते ही हतोत्साहित हो जाते हो वहां युवाओं तथा खेल प्रतिभाओं का उचित विकास किस तरह से हो पायेगा। इस पर बड़ा सवाल खड़ा होता दिख रहा है। बाहर से आने वाले खेल जगत से जुड़े लोग व खिलाड़ीगण के बीच जिला कार्यालय को लेकर अनेकों तरह की आलोचना जिला बलौदाबाजार की बदनामी का कारण भी बनता जा रहा है। बतादे की खेल विभाग यातायात कार्यालय के बगल में स्थित जर्जर भवनों में चल रहे हैं। इस भवन का उखड़ता प्लास्टर और दीवारों पर उगे पेड़ इसके जर्जर होने की कहानी कह रहे हैं। इस भवन के कमरों में न तो दीवारें ही ठीक हैं, और न ही दरवाजे और खिड़कियां ही ठीक हैं सिर्फ एक कमरा में ही खेल विभाग कार्यालय का काम संचालित हो रहा है। भवन की दीवारों से पापड़ी उखड़ रहा है और पुरे भवन में अनेकों जगह दरारे पड़ गयी है तथा सरिया भी दिखाई देने लगी है। बरसात के मौसम में विभाग की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जिस कारणों से कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है। ऐसे में इन भवनों में अधिकारी और कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। चुकी खेल विभाग का काम खेलों को प्रोत्साहित करना,विभिन्न खेलों के प्रति रुचि जागृत करना, खेल के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना,खेलों के महत्व के प्रति जागरूकता लाना, एवं खिलाडिय़ों के लिए उचित प्रशिक्षण,साधन और सुविधा मुहैया कराना है परन्तु जिले में जिस प्रकार खेल विभाग एक सुविधाविहीन कार्यालय में संचालित हो रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है मानो जिला प्रशासन खेल व खिलाडिय़ों के विकास के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है।