जोहार छत्तीसगढ़ – धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ क्षेत्र के लिए गौरव पद्म श्री जागेश्वर राम यादव का 3 फरवरी को धरमजयगढ़ आगमन हो रहा है। जो अपने कर्मभूमि खलबोरा जाएंगे। बता दें कि यादव का जशपुर जिले का गांव भीतघरा जन्मभूमि है। लेकिन उनका कर्मभूमि धरमजयगढ़ क्षेत्र रहा है। 1992 से धरमजयगढ़ क्षेत्र में अपना कार्य कर रहे हैं। जिससे इस क्षेत्र से उनका विशेष लगाव हो गया है। जागेश्वर यादव अपना जीवन बिरहोर, पंडो , पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है। इन जनजातियों के शिक्षा, स्वास्थ , सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए शासन प्रशासन से मिलकर कार्य करते रहे। जिसके कारण इन जनजातियों के लोग यादव को अपना मसीहा कहते हैं। सादा जीवन उच्च विचार के साथ जीवन जीने वाले यादव का पोशाक हाफ पैंट, हाफ शर्ट है, वहीं हमेशा नंगे पांव ही रहते हैं। जिसके पीछे भी एक कारण है। जब शुरुआत के दिनों में यादव इन जनजातियों से मिलने जाते थे तो जूता पहनकर जाते थे। तब वे लोग इनसे मिलने से झिझकते थे। तभी यादव चप्पल पहनना छोड़ दिए। बता दें कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के समर्पित जागेश्वर यादव को पूर्व में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पुरस्कार शहीद वीरनारायण सिंह पुरस्कार मिल चुका है। वहीं अब भारत सरकार द्वारा इन्हे पद्म श्री सम्मान के लिए नामांकित किया गया है। पद्म श्री पुरस्कार घोषणा के बाद यादव का 3 फरवरी को प्रथम धरमजयगढ़ आगमन हो रहा है।