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आपकी नहीं पैसे की है पुलिस, आम लोगों की थाने में नहीं होती सुनवाई, गरीबों की कोई आवाज नहीं, पैसे के बिना नहीं सुनती पुलिस

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जोहार छत्तीसगढ़-बलौदाबाजार।

पुलिस अफ सर लाख दावे करें कि खाकी वर्दी आपकी दोस्त है लेकिन हकीकत में उसका रवैया अनजानों से भी बदतर है। शहर के थानों में बैठी पुलिस को जनता के दुख.दर्द से कोई लेना देना नहीं। पुलिसिया रौब झाडऩा और वर्दी की धौंस दिखाना ही उनकी शैली है। जनता के प्रति असंवेदनशील पुलिस एफ आईआर तो छोडि़ए थानों में आवेदन भी बिना रिश्वत के नहीं लेती है। आपका मामला कितना भी गंभीर हो इस बात की गारंटी नहीं कि सुनवाई हो ही जाएगी। यही कारण है कि आम आदमी में पुलिस का खौफ है जबकि गुंडे बदमाश बेखौफ हैं। शहर के थानों की पड़ताल फ रियादी बनकर की। कहीं रिश्वत की मांग की गई तो कहीं पुलिसिया रौब दिखाकर चलता कर दिया गया। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को समाज में बल का एकाधिकार दिया गया है। इसका उपयोग न्याय की भावना के साथ विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि बड़े पैमाने पर जनता में न्याय प्रणाली में विश्वास पैदा हो और इसकी विश्वसनीयता बनी रहे। जवाबदेही महत्वपूर्ण है। जब बल का प्रयोग मनमाने ढंग से और कानून के अनुसार नहीं किया जाता है, तो इससे जनता में अन्याय की भावना पैदा होती है और पुलिस के कार्यों को पक्षपातपूर्ण और अनुचित माना जाता है। जब पुलिस सत्ता में बैठे लोगों की ओर से कार्य करती है, तो नागरिकों के लिए क्या उपाय है, वे बिना किसी अवैध कार्य के वर्षों तक जेल में रह सकते हैं। चूंकि न्याय होता नहीं दिखता इसलिए राज्य की निष्पक्षता सवालों के घेरे में आ जाती है। जनता का मोहभंग बढ़ जाता है और अक्सर लोग कानून अपने हाथ में ले लेते हैं।

क्या है मामला

मामला बलौदाबाजार भाटापारा के भाटापारा थाना ग्रामीण का है 15 दिसंबर 2023 को राजकिरण पिता समारू अनंत, सुशील पिता भागवली अनंत एवं मेरे भतीजा नरोत्तम घृतलहरे के साथ ठेला में विवाद हो गया जिसे सुनकर विवाद सुलझाने के लिए मेरा भाई नारद घृतलहरे गया तब राजकिरण अनंत एवं सुशील अनंत आकोशित हो गये और पास के निवासी संतोष धितोडे के घर से टंगिया लेकर मेरे भाई नारद घृतलहरे के सिर, पसली, चेहरा हाथ में टंगिया से बार कर दिये जिससे सिर फ ुट गया, पसली पीठ साईड कट गया, चेहरा में गंभीर चोटें आयी दांत टूट गया बहुत खून निकला है। नारद घृतलहरे को तत्काल भाटापारा ग्रामीण थाना ले गये वहां पर स्थिति को देखते हुए तत्काल अस्पताल भेजा गया और अस्पताल में प्रारंभिक ईलाज कर डीकेएस रायपुर रिफ र कर दिये जहां पर भी पूर्ण ईलाज नहीं होने से बेहतर ईलाज के लिए प्रायवेट अस्पताल ले गये और प्रायवेट अस्पताल स्वास्तिक अस्पताल रायपुर में ईलाज चल रहा है। जहां पर नारद घृतलहरे को आज तक होश नहीं आया है। नारद घृतलहरे की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। डाक्टरों का कहना है कि बहुत खतरा है। उक्त आरोपीगण धमकी दे रहे हैं कि हम लोग पुलिस को दो लाख रूपये दिये हैं हमारा तुम लोग कुछ नहीं उखाड़ सकते।

न्याय व्यवस्था का टूटना

पुलिसकर्मी जो व्यापक अवैधता करते हैं, चाहे वह शासकों का पक्ष लेने के लिए हो या कमजोरों और विपक्ष को परेशान करने के लिएए उन्हें कठोर बनाता है। वे सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के लिए भी अपरिहार्य हो जाते हैं जो अपने चुनौती देने वालों को नियंत्रित करके खुद को सत्ता में बनाए रखना चाहते हैं।

सवाल

जब पुलिस द्वारा पैसे का लेनदेन नहीं हुआ है तो अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है यहां तक पुलिस द्वारा घायल व्यक्ति जीवित है या कुछ हो गया है कोई जानकारी लेना जरुरी नहीं समझा गया है और थाना प्रभारी द्वारा घायल के परिजन को उचे स्वर मे चिल्लाया जाता है कि जब रायपुर से आ गए हो तो पुलिस थाना आना चाहिए था। क्या यही है कानून व्यवस्था वही इस मामले में हमारे संवाददाता ने कार्यवाही में विलम्ब को लेकर जानकारी चाही तो थाना प्रभारी द्वारा भड़कते हुए बोले कि आप ही विवेचना कर लो जवाब दिया गया। क्या एक जिम्मेदार अधिकारी का इस तरह से बात करना सही है। वही गरीब घायल परिवार के परिजन ने न्याय पाने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक को 19 दिसम्बर को आवेदन दिया था। किन्तु अभी तक जिला पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया है परिजन द्वारा पुलिस थाना के कर्मचारी पर दो लाख लेने का आरोप लगाया है जिस पर जिला पुलिस प्रशासन जांच नहीं किया गया। इस मामले में यह भी अनुमान लगाया जाना संभव है कि पुलिस के पास तमाम तरीके के मामले आते हैं और सभी को जल्द से जल्द निपटाया जाना थोड़ा समय की बात है।

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