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लाखों करोड़ों का लकड़ी हो रहा गायब वन विभाग चुपचाप देख रहा तमाशा … मामला भारतमाला परियोजना में कांटे गये पेड़ का

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। धरमजयगढ़ से गुजरने ने वाली भारतमाला परियोजना में अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा खुलकर गोलमाल किया जा रहा है। हम आपको बता दे कि इस परियोजना में सैकड़ों वृक्ष कांटे जायेंगे, वर्तमान में भारतमाला परियोजना के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा भू-अर्जन के तहत नीजि भूमि के वृक्ष कटाई का काम किया गया है। सिसरिंगा से तेजपुर के आसपास भारत माला परियोजना के तहत सैकड़ों बड़े-बड़े कई प्रजाति के वृक्षों को कांटा गया है। परियोजना के अधिकारियों द्वारा वृक्ष को कांटकर वहीं भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। कांट कर वहीं छोड़ देने से लाखों करोड़ों की लकड़ी गायब होने लगे हैं। मजेदार बात है कि वन विभाग को कांटे गये लकड़ी को अपने डिपो में रखना था लेकिन वन विभाग ऐसा न करके शासन को लखों करोड़ों का नुकसान करने में तुला हुआ है। हम आपको बता दे कि धरमजयगढ़ में ऐसा मामला सिर्फ भारतमाला परियोजना में ही नहीं है, धरमजयगढ़ में जितने भी परियोजना संचालित हो रहे हैं उसमें अधिकत्तर परियोजना में ऐसा ही किया जा रहा है या फिर किया गया है। धरमजयगढ़ वन विभाग को ऐसे भ्रष्टाचार करने वालों से कोई लेना देना नहीं है, अब सवाल उठता है कि अखिर क्या कारण है कि वन विभाग के उच्च अधिकारी होने के बाद भी भ्रष्टाचार करने वालों को खुली छूट दिया जा रहा है? वन विभाग क्षेत्र में काम करने के लिए विभाग से अनुमति की भी जरूत नहीं पड़ती है? इनके द्वारा पेड़ों की नंबरिंग तो किया जाता है लेकिन इनको ये पता नहीं चलता है कि परियोजना कब शुरू हुआ और नंबङ्क्षरंग किये गये पेड़ कहां चले गये, अब आप सोच सकते हैं कि ऐसे कैसे में होता है क्या अधिकारी-कर्मचारियों के मिली भगत के बिना ऐसा हो सकता है? क्या धरमजयगढ़ में हर परियोजना के लिए अलग-अलग नियम? एडीबी परियोजना के तहत निर्माण हो रहे धरमजयगढ़ कापू मार्ग में आ रहे राजस्व एवं नीजि भूमि में लगे वृक्षों को कांटने के लिए धरमजयगढ़ अनुविभाग अधिकारी राजस्व द्वारा दिनांक 26 अप्रैल 2022 को दिये गये अनुमत्ति में साफ उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त वृक्षों को राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की उपस्थिति में वन विभाग द्वारा काटा जायेगा। वृक्षों को कांटे जाने के पश्चायत लकडिय़ां वन विभाग के डिपो में रखा जायेगा तथा वन विभाग द्वारा नियमानुसार उक्त लकडिय़ों का निलाम कर नियमानुसार राशि आवेदक को प्रदाय किया जावेगा। अब सवाल उठता है कि क्या एडीबी और भारतमाला परियोजना के लिए सरकार द्वारा अलग-अलग नियम लागू किया है? भारतमाला परियोजना के तहत कांटे गये वृक्षों को लावरिस की तरह वहीं फेंक दिया गया है। मजेदार बात है कि शासन का नियम है कि प्रत्येक वृक्ष जो परियोजना में कांटे जाना है उन वृक्षों का गिनती कर प्रत्येक वृक्ष 150 रूपये ग्राम पंचायत को देना होता है लेकिन भारत माला परियोजना के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा इस नियम का भी पलन नहीं किया गया है, ग्राम पंचायत को कोई राशि नहीं दिया गया है, और तो और ग्राम पंचायत को वृक्ष कांटने की कोई सूचना तक नहीं दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यहा है कि अनियमितता करने वाले भारतमाला परियोजना के अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही करेंगा कौन? यह तो समय ही बतायेगा इनके उपर कार्यवाही होता है फिर ऐसा करने का खुली छूट जारी रहेगा।

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