जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी भत्ते के लेकर लम्बे समय से बाते चलते आ रही है। पिछले कई सालों से बेरोजगार युवाओं को न, नौकरी मिल रही थी ना ही बेरोजगारी भत्ता। पिछली सरकार के 15 साल के कार्यकाल में भी युवाओं द्वारा कई बार बेरोजगारी भत्ते की मांग की गयी थी पर उस समय की सरकार द्वारा की इसको प्राथमिकता ना देते हुए जनता की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जब 2018 में चुनाव की बारी आयी तब कांग्रेस सरकार द्वारा घोषणा पत्र जारी कर कई वादे किये गए। जिसमे कई वादे धरातल तक पहुंच ही नहीं पाए और कई वादों के पहुंचते-पहुंचते इतना समय लग गया की चुनावी साल तक पहुंच गयी। 2018 में कांग्रेस सरकार बनते ही प्रदेश के युवा नौकरी के साथ-साथ बेरोजगारी भत्ता की मांग करने लगे। भत्ता मांगने के पीछे युवाओं का मकसद आर्थिक स्तिथि को सुधारना था कई युवा पढ़े लिखे हंै पर उन्हें ना कही नौकरी मिल रही ना कही काम इसीलिए युवा उम्मीद में बैठे थे की बेरोजगारी भत्ता की राशि से उनकी दिनचर्या की छोटी मोटी जरूरते पूरी हो जाएगी भत्ता राशि से कुछ आर्थिक स्तिथि में सुधार हो जायेगा पर चार साल बीत जाने के बाद जैसे ही चुनाव की घड़ी नजदीक आयी तब अप्रैल माह से कांग्रेस सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता योजना का कार्य चालू किया गया। जिसमे पात्र युवाओं को 2500 रूपये बेरोजगारी भत्ता देने के निर्णय किया गया बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने के लिए भी कई शर्ते रखी गयी। जिसमे आवेदक का छत्तीसगढ़ का मूल निवासी होना अनिवार्य है उसकी आयु 01 अप्रैल को आयु 18 वर्ष से 35 वर्ष तक होनी चाहिए आवेदक 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण हो उसका 01 अप्रैल को 2 वर्ष पुराना रोजगार पंजीयन हो,वार्षिक आय रूपये 2,50,000 से अधिक न हो, एक परिवार से एक ही सदस्य को बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। वर्तमान में भत्ता की एक और किस्त देने की बाते सामने आ रही। पिछले 4 सालों से बेरोजगारी भत्ता ना देकर चुनाव नजदीक आते ही बेरोजगारो को हर माह 2500 रूपये बेरोजगारी भत्ता देना सरकार पर प्रश्न चिन्ह् अंकित करता है कि कही ये चुनाव के मद्देनजर प्रलोभन तो नहीं या तो फि र ये सरकार को अगले चुनाव में फायदा भी पहुंचा सकता है। बड़ा प्रश्न यह है की पिछले 5 सालों से सरकार क्या कर रही थी घोषणा पत्र में किये गए वादे को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए पहले साल से कार्य प्रारम्भ ना करके आखरी साल में क्यू में क्यों किया गया ऐसे में सरकार के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग रहा की कही चुनाव को देखते हुए सरकार द्वारा जनता को प्रलोभन तो नहीं दिया जा रहा। अगर जनता इसे प्रलोभन समझती है तब वर्तमान सरकार को इससे चुनाव में भारी नुकसान का सामना कर पड़ सकता है। ऐसे में जनता के हाथों में निर्णय है की जनता इसे क्या समझती है।