जोहार छत्तीसगढ़-घरघोड़ा।
रायगढ़ जिला एसईसीएल विभाग के द्वारा बरौद कोयले की खदान के अंतर्गत आसपास के कई गांव को एसईसीएल ने 2009-10 में भू अर्जन की प्रक्रिया की धारा प्रकाशित होने के बाद किसानों की जमीन को भू-अर्जन के अनुसार खरीद बिक्री में प्रतिबंध लगा दिया गया। परंतु एक दशक से भी ऊपर जमीन की खरीद बिक्री में प्रतिबंध लगने से किसानों के अपने निजी जीवन में काफी समस्याएं से गुजारना पड़ रहा है किसान न तो जमीन को बेच पा रहे हैं और ना ही एसईसीएल द्वारा उन्हें वास्तविक मुआवजा दिया जा रहा है विगत एक दशक से भी ऊपर हो जाने के बाद किसान को नौकरी भी नहीं दी गई है। जिससे कि किसानों में काफ ी आक्रोश पनप रहा है और बेरोजगार युवकों को एसईसीएल की भू-अर्जन वाली भूमि में एक परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी का भी प्रावधान दिया गया था। जो कि आज 10 वर्ष से ऊपर हो गए क्षेत्र के बेरोजगार आज भी बेरोजगार हैं। तथा नौकरी की भी उम्र निकलते जा रही है इस तरह से किसानों के अधिकारों का चौतरफा हनन हो रहा है। अगर मुआवजा समय पर नहीं दिया गया तो फि र जमीन खरीद बिक्री में प्रतिबंध क्यों या तो प्रतिबंध हटा दिया जाए या फिर जल्द से जल्द प्रभावित किसानों को शासन के गाईडलाइन के अनुसार मुआवजा दिया जाए और समय पर नौकरी दी जाए और इतने वर्ष बीतने के बाद मुआवजे रकम का ब्याज भी दिया जाए साथ ही साथ एसईसीएल के नियमानुसार पात्र प्रभावित किसानों को जो सुविधा मिलनी चाहिए वह सुविधा भी जल्द से जल्द देनी होगी नहीं तो क्षेत्र के किसान उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे एक तरफ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार यह कहती है कि किसानों की सरकार है किसानों की संपूर्ण अधिकार की रक्षा तथा उनकी सुविधा के अनुसार उन्हें हक दिया जा रहा है तो फि र एसईसीएल बरौद पोरडा बिजारी के किसानों को उनके अधिकारों से वंचित क्यों रखा गया है इसका फैसला जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।