जोहार छत्तीसगढ़- धरमजयगढ़। रक्षक ही बन बैठा भक्षक तो विनाश होना निश्चित है। यह कहावत वन मण्डल धरमजयगढ़ क्षेत्र के ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी पर चरितार्थ हो रहा है। क्योंकि इनके मुख्यालय के पास ही सैकड़ों पेड़ काट दिए जाते हैं।लेकिन इनको भनक नहीं लगती है। क्योंकि पहले से ही इनके आंखों में काली पट्टी अर्थात….. बांध दी जाती है। कई क्षेत्रों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के बारे वन विभाग के उच्च अधिकारियों से जब चर्चा की गई तो उन्होंने ने रेवन्यू का जमीन बता कर पल्ला झाड़ लिया। जंगल एवं गांव के मध्य ज्यादातर जमीन बड़े झाड़ का जंगल है जो रिकॉर्ड में राजस्व वन भूमि दिखाता है। इसमें सरई, महुआ इत्यादि के बड़े बड़े पेड़ हैं। जिनकी अंधाधुंध कटाई जारी है। कटाई करने वालों पर वन विभाग एवं राजस्व विभाग के जमीनी स्तर के कर्मचारियों का मौन स्वीकृति रहती है। क्योंकि इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को नहीं दी जाती है। जो देखते ही देखते कुछ महीनों में साफ हो जाता है। यदि कोई अधिकारी के पास शिकायत भी कर दे तो सिर्फ लीपापोती कर खानापूर्ति कर देते हैं। बता दें कि राजस्व वन भूमि के पेड़ की कटाई की सूचना वन विभाग को दी जाती है तो उनका बहुत ही हास्यप्रद जबाब आता है कि राजस्व वन भूमि के पेड़ों की कटाई पे कार्यवाही करने का अधिकार राजस्व विभाग का है। वन विभाग परिवहन करते हुए पकड़े तब कार्यवाही कर सकती है। बात करें निर्माण कार्य की तो मौके पर देख कर कोई भी बता देगा कि कितना भ्रष्टाचार हुआ है। जहां जहां वन विभाग द्वारा हजारों में वृक्षारोपण किया गया है कहीं भी जाकर देख लो सैकडों जीवित मिलेगा तो बहुत है। वहीं ज्यादातर वन गौठान तो सिर्फ नमूना बनकर रह गया है। जब जब भी उच्च अधिकारियों द्वारा गौठान की जानकारी मांगी जाती है तो कुछ गोबर खरीद कर वहां डाल दिया जाता है। ग्राम पंचायत बायसी के मेडरमार में आवर्ती चराई योजना में लगभग 20 लाख रुपये से बने गौठान में चारा तो दूर गायों के पीने के लिए पानी तक नहीं है। ये तो एक उदाहरण है ऐसे कितने वन गौठान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। वन्यजीवों की मौत भी क्षेत्र में बढ़ते जा रहे हैं। जिससे साफ झलकता है कि मैदानी कर्मचारी फील्ड में नहीं पहुंच रहे हैं,और न ही बड़े अधिकारी उनपर कार्यवाही कर रहे हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार यहां से ……. तक अपना घर कर लिया है।