भोपाल । डेंगू मरीजों का आंकड़ा 3000 के पार जा पहुंचा है। इधर स्वास्थ्य विभाग के इंतजाम सब बेकार साबित हो रहे हैं। डेंगू की रोकथाम के लिए चलाया जा रहा अभियान भी ठंडा है। आलम यह है कि बरसात के पानी का जिन स्थानों पर जलभराव है वहां पर दवा का छिड़काव तक नहीं हुआ। गंबूसिया मछली पिछले वर्ष तो तालाब,बड़े गड्डे आदि में छोड़ी गई थी पर इस बार गंबूसिया मछली नहीं छोड़ी जा रही हैं।
राजधानी में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार को अवकाश के बाद भी डेंगू बुखार के 49 संदिग्धों की जांच की गई। इसमें नौ सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके अलावा शहर में करीब हफ्ते भर बाद चिकनगुनिया का भी एक मरीज मिला है। इसके साथ ही भोपाल में इस महीने डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 234 तक पहुंच गया है। जनवरी से अब तक इस सीजन में कुल 334 मरीज मिल चुके हैं। आलम यह है कि इन दिनों शहर की 25 से ज्यादा कॉलोनियों में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं।
भोपाल में सिर्फ 33 टीमें तैनात
यहां पर यह बता दें कि भोपाल शहर में कुल 85 वार्ड हैं, लेकिन मलेरिया विभाग की सिर्फ 33 टीमें ही लार्वा सर्वे का काम कर रही हैं। मलेरिया सर्वे करने वाली टीमों को इन दिनों रोज 13 से 15 फीसद घरों में डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर का लार्वा मिल रहा है। इतने ज्यादा घरों में लार्वा मिलने का आशय यह है कि डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। अगस्त माह में करीब 10 फीसदी घरों में ही लार्वा मिल रहे थे। इसके बाद भी लार्वा नष्ट करने के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम सिर्फ डेंगू प्रभावित घरों के आसपास ही लार्वा सर्वे के लिए पहुंच रही हैं। जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे के मुताबिक पांच दिन तक के बुखार पर डेंगू की जांच के लिए एंटीजन और इससे ज्यादा दिन के बुखार के लिए एंटीबॉडी की जांच की जाती है।