जिनेवा । धरती पर पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के समाधान के लिए विश्व के नेताओं पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों से इस सप्ताह इसके लिए कई बार आह्वान किया गया है। पिछले चार दिन में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र ने तापमान बढ़ाने वाली गैसों का उत्सर्जन घटाने, गरीब देशों को स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए वित्तीय मदद करने तथा अन्य कदम उठाने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैं हड़बड़ी में नहीं हूं लेकिन मैं काफी चिंतित हूं। हम हालात बिगड़ने के कगार पर हैं और गलत दिशा में एक कदम भी जोखिम भरा साबित हो सकता है।’
गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर्यावरण के संबंध में और कदम उठाने के लिए सोमवार को दुनिया के 35-40 नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं ताकि छह हफ्ते में स्कॉटलैंड में जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण समझौते किए जा सकें। वर्ष 2015 के पेरिस पर्यावरण समझौते के बाद यह देशों के बीच महत्वपूर्ण राय बनाने में अगला कदम होगा। इससे पहले शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी बैठक की थी। गुतारेस ने बाइडन के वार्ता मंच पर कहा, ‘हमारे लिए तेजी से समय खत्म हो रहा है। असफलता की पूरी आशंका है।’ इस साल अमेरिका के पश्चिमी हिस्से में दावानल, चीन, अमेरिका और यूरोप के कुछ इलाकों में बाढ, चक्रवाती तूफान का बढ़ता प्रकोप और प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ा।
अमेरिका के पूर्व जलवायु वार्ताकार और निजी कंपनी क्लाइमेट एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निगेल पुरविस ने कहा कि स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाली बैठक को लेकर वह बहुत आशावादी नहीं है क्योंकि नेता पहले भी इसके लिए वादे कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि फिर भी उन्हें उम्मीद है कि दुनिया के शीर्ष कार्बन उत्सर्जक में शामिल चीन जैसे देश प्रदूषण घटाने के लिए पेरिस समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करेंगे जबकि अमेरिका जैसे अमीर देशों को गरीब देशों की मदद करनी चाहिए। पर्यावरण सप्ताह के लिए न्यूयॉर्क में विभिन्न देशों के नेता, कार्यकर्ता और कारोबार क्षेत्र से जुड़े अधिकारी एकत्र हो रहे हैं। बैठकों के दौरान जी-20 समूह के देशों से और कदम उठाने का आह्वान किये जाने की संभावना है।