भोपाल। राजधानी के स्कूल, कॉलेज एवं कार्यालयों में लार्वा का सर्वे कार्य नहीं किया जा रहा है, जबकि इन स्थानों पर डेंगू का खतरा ज्यादा रहता है। इसकी वजह यह कि डेंगू का मच्छर दिन में काटता है। दिन में कामकाजी वर्ग के ज्यादातर लोग बाहर रहते हैं।शहर में डेंगू की रोकथाम के लिए बैठकें हो रही है। 15 सितंबर को लार्वा सर्वे को लेकर भोपाल समेत देशभर में अभियान भी चलाने की तैयारी है, लेकिन स्कूल, कालेज और दफ्तरों में लार्वा सर्वे नहीं किया जा रहा है। मालूम हो कि वर्ष 2014 में डेंगू के मरीजों की संख्या शहर में बढ़ने पर प्रशासन ने स्कूल, कालेज या दफ्तर में डेंगू का लार्वा मिलने पर संस्था प्रमुख को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन इस साल ऐसा नहीं किया गया। सरकारी विभागों के सिर्फ 20 कर्मचारियों को हफ्ते भर पहले डेंगू की रोकथाम के बारे में प्रशिक्षित किया गया है।10 फीसद घरों में डेंगू का लार्वा मिल रहा है। इसके बावजूद कई जगहों पर लोग घरों में पानी जमा कर रहे हैं। लार्वा सर्वे करने वाली टीम को भी कई लोग घर में घुसने नहीं दे रहे हैं। इस साल रुक-रुककर बारिश की वजह से पहले से ही डेंगू और मच्छरजनित अन्य बीमारियां होने की आशंका जताई जा रही थी। इसके बाद भी शहर के 85 वार्डों में लार्वा सर्वे के लिए सिर्फ 33 टीमें काम कर रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लार्वा सर्वे के दौरान पांच से सात फीसदी घरों में दूसरी बार लार्वा मिल रहा है। इसके बाद भी सितंबर के पहले तक नगर निगम की तरफ से जुर्माना नहीं किया गया। अब हर दिन लार्वा मिलने पर करीब 90 घरों में 200 से 500 रुपये तक जुर्माना किया जा रहा है। शहर में डेंगू के हर दिन 10-15 मरीज मिल रहे हैं, लेकिन रविवार की छुट्टी होने की वजह से प्रयोगशालाओं में जांच ही नहीं हो पाई। भोपाल में एम्स, बीएमएचआरसी, जेपी अस्पताल, हमीदिया और बैरागढ़ सिविल अस्पताल में डेंगू की जांच की जा रही है। अब सोमवार को जांच रिपोर्ट आएगी, जिससे पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 20 से ऊपर पहुंच सकता है। इस बारे में भोपाल सीएमएचओ, डा. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि दफ्तरों में लार्वा की पहचान और नष्ट करने के लिए एक कर्मचारी को प्रशिक्षित कर डेंगू के रोकथाम की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की तरफ से उसे दी गई है।