भोपाल । राजधानी की सडकों के किनारे फुटपाथों पर लगाए गए करीब दस हजार से ज्यादा पेडों की जिंदगी संकट में है, क्योंकि इन पेडों के आसपास सीमेंट-कांक्रीट बिछा कर पेक कर दिया गया है, इससे इन पेडों की जडों तक हवा और पानी नहीं पहुंच पा रहा है और इनका दम घूट रहा है। पेडों के आसपास पेविंग ब्लॉक लगा दिए हैं। इसके चलते तने पतले पड़ रहे हैं, पेड़ कमजोर हो रहे हैं। यही वजह है कि बीते 25 दिनों में शहर में तीन हजार से अधिक पेड़ गिर गए हैं। यही हाल रहा तो लगाए जाने वाले पौधों के बड़े होने के पूर्व हजारों बड़े पेड़ गिर जाएंगे। इससे शहर में हरियाली घट सकती है। पेड़ों की यह दुर्दशा मुख्य सड़कों, पाथवे और कॉलोनियों में ज्यादा हो रही है। यह तब है, जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की दिल्ली बेंच ने साल 2014 में दिए एक आदेश में कहा था कि पेड़ों के आसपास एक मीटर व्यास तक खाली जगह छोड़ी जाए। पेड़ों के आसपास की जगह को बिल्कुल भी पक्का न करें। यह पर्यावरण के खिलाफ है। नगर निगम, राजधानी परियोजना और पीडब्ल्यूडी एनजीटी के उक्त आदेश का पालन नहीं करवा पा रहे हैं। भोपाल की वनस्पति पर पीएचडी करने वाले प्रमुख पर्यावरण विशेषज्ञ और पेड़ों के जानकार डॉ. सुदेश वाघमारे का कहना है कि पेड़ों के प्रत्येक हिस्सों तक ऊतक भोजन-पानी पहुंचाते हैं, जो तनों के आसपास सीमेंट-कांक्रीट और पेविंग ब्लॉक लगाने से प्रभावित होते हैं। तने का वह हिस्सा पतला हो जाता है। पेड़ों की वृद्धि रुक जाती है। इससे कमजोर होने लगते हैं और गिर जाते है। पेड़ों के आसपास कम से कम एक मीटर व्यास जगह छोड़ी जानी चाहिए। इस व्यवस्था का सख्ती से पालन होना चाहिए। यह सार्वजनिक हित का विषय है।
ऐसे कामों पर संबंधित विभाग व उनके अधिकारियों को अधिक गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। यह विषय अकेले पेड़ों से नहीं, बल्कि प्रत्येक इंसान के जीवन से जुड़ा है। पर्यावरण विशेषज्ञ व सेवानिवृत्त वन अधिकारी रमाकांत दीक्षित बताते हैं कि 1984 से लेकर 1997 तक भोपाल में बड़े स्तर पर पौधे लगाए थे, जो पेड़ बन गए हैं। प्राकृतिक रूप से उगे हुए पौधे भी पेड़ बने हैं। लेकिन अब ये पेड़ शहर के विस्तार से प्रभावित हो रहे हैं। सड़क, नाली, घरेलू व व्यवसायिक निर्माण, लोक परिवहन से जुड़े अन्य निर्माण, कालोनियों के विस्तार जैसे कामों के चलते जगह-जगह खोदाई हुई है। इससे लाखों पेड़ों की जड़ें कट चुकी हैं। अनेक जगहों पर तो पेड़ों को ही काट दिया गया है। जिन पेड़ों की जड़ों को नुकसान पहुंचा है वे कमजोर हो गए और हल्की बारिश व हवा में गिर रहे हैं। हमारी व्यवस्थाओं ने ही शहर को हरा-भरा किया है। अब पेड़ों के नुकसान के लिए भी कहीं न कहीं व्यवस्था जिम्मेदार है। इस बारे में राजधानी परियोजना के सीसीएफ संजय श्रीवास्तव का कहना है कि पेड़ों के आसपास सीमेंट-कांक्रीट बिछाया जा रहा है। पेविंग ब्लॉक लगा दिए हैं। इससे पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। सीपीए पूर्व में इस पर आपत्ति दर्ज करा चुका है। दोबारा संबंधित विभागों को लिखेंगे। सीपीए ने पौधे लगाए थे, जो पेड़ बन चुके हैं। सुरक्षा की जिम्मेदारी नगर निगम की है।