नई दिल्ली । देश में बीआईपी सुरक्षा में गृह मंत्रालय 1 लाख 75 हजार करोड़ खर्च करता है। इसके साथ ही केन्द्र एवं राज्य सरकारों की पुलिस के 40 फीसदी सुरक्षाकर्मी वीवीआईपी की सुरक्षा में लगे हैं। इसमें भी 10 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा केंद्र एवं राज्य सरकारों खर्च होता है। इस भारी भरकम खर्च को सरकारी खजाने से खर्च किया जा रहा है। देश की गरीब जनता के टेक्स से जमा राशि को देश के 19402 लोंगो को सुरक्षा दी जा रही है।
हाल ही में राष्ट्रपति गोविन्द कोंविन्द की सुरक्षा के चलते एक महिला की मौत हो जाने के बाद वीवीआईपी कल्चर को लेकर मामले ने तूल पकड़ लिया है। भारत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि 5 मिनिट से ज्यादा ट्रेफिक वीवीआईपी सुरक्षा में नहीं रोका जा सकता है। इसके बाद भी सुरक्षा के नाम पर रोजाना आधा घंटे ट्रेफिक रोक दिया जाता है। जिससे कई मरीजों की इलाज नहीं मिलने से मौत हो जाती है।
भारत से अंग्रेज चले गए हैं। किन्तु राजाओं तथा अंग्रेजों की सांमतशाही भारत में आज भी विद्यमान है। दुनिया के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों, सांसदों एवं विधायकों को विशेष रुप से विकसित राष्ट्रों में भारत जैसी सुविधायें नहीं मिलती हैं। अमेरिका के सांसद भी अब भारत जैसी वीवीआईपी सुविधाओं की मांग करने लगे हैं।
स्टेटस सिंबल और आतंक
भारत में वीवीआईपी सुरक्षा के दायरे मं आने के लिए तरह – तरह के उपाय राजनेता, अधिकारी, व्यवसायी करने लगे हैं। सुरक्षा, अब स्टेटस सिंबल और आतंक का पर्याय बन रहा है। जिन्हें यह सुरक्षा मिली है। राजनैतिक एवं आर्थिक फायदे के लिए सुरक्षा का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। वहीं जनता के टेक्स से 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होना सारी दुनिया को आश्चर्यचकित कर रहा है। लोकतांत्रिक एवं विकासशील राष्ट्र में चंद लोगों की सुरक्षा में लाखों करोण रुपयों खर्च को लेकर भारत में भी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया होने लगी है।