लंदन। कोरोना वायरस को लेकर ताजा अध्ययन में पाया गया है कि थोड़ी गंभीर बीमारी होने पर भी दिमाग पर असर देखा गया है। कोविड सिर्फ लोगों को तनाव के साथ नहीं छोड़ रहा बल्कि दिमाग के कई हिस्से सिकुड़ते दिखे हैं। हारवर्ड मेडिकल स्कूल की फिजिशन डॉ अदिति नेरूरकर ने बताया है कि ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह स्टडी की है जिसमें लिंबिक कॉर्टेक्स, हिपोकैंपस और टेंपोरल लोब सिकुड़ते पाए गए। दिमाग के इन हिस्सों से गंध/स्वाद, याद्दाश्त और भावनाएं कंट्रोल होती हैं। ये बदलाव ऐसे लोगों में देखे गए जिन्हें कम बीमारी थी और अस्पताल में भर्ती नहीं थे। ‘
ब्रिटेन बायोबैंक ने महामारी की शुरुआत में 40 हजार लोगों का ब्रेन स्कैन किया था। 2021 में इनमें से 782 को दोबारा बुलाया गया। वापस आए लोगों में से 394 कोरोना पॉजिटिव रह चुके थे। स्टडी में लोगों की उम्र, लिंग, स्थान जैसे मानकों को भी ध्यान में रखा गया और दिमाग की बनावट और काम करने की प्रक्रियाओं को स्कैन किया गया। नतीजों में दिमाग के कुछ हिस्से सिकुड़े पाए गए। इसमें दिलचस्प बात यह सामने आई कि जिन कोरोना पॉजिटिव लोगों का स्कैन किया गया था, उनमें से सिर्फ कुछ इतने बीमार हुए थे कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। ऐसे लोगों के दिमाग पर भी ज्यादा असर पड़ा है जो अस्पताल में भर्ती कराने जितनी गंभीर हालत में नहीं पहुंचे थे। इस स्टडी के साथ ही दिमाग पर पड़ने वाले असर को गंभीरता से लेने और इन्फेक्शन से बचने की जरूरत साफ होती है। कोरोना वायरस की बीमारी का फेफड़ों और दिल पर असर तो होता ही है, नई स्टडी में दिमाग पर इसका होना पाया गया है।