भोपाल । जिला पंजीयन विभाग 1 जुलाई से नई कलेक्टर गाइडलाइन लागू कर सकता है, क्योंकि दरें मार्च-2021 में निर्धारित हो चुकी हैं। शासन के आदेश के तहत पुरानी दरों से 30 जून तक रजिस्ट्री कार्य होगा, यानी उसके बाद 1 जुलाई से नई दरें लागू की जा सकती है। इससे नई कॉलोनियों में 45 प्रतिशत तक दरें बढ़ेंगी। ऐसे में प्रॉपर्टी धारकों को 400 की बजाए 560 व 600 रुपए की दर से रजिस्ट्री करवाना होगी। यानी 6 दिन बाद से लोगों को 160 से लेकर 200 रुपए तक ज्यादा दर चुकाना होगी।
पुरानी कॉलोनियों में भी 20 प्रतिशत तक गाइड लाइन बढ़ाई जाएगी। इसका असर प्रॉपर्टी धारकों की जेब पर पड़ेगा। उनके लिए मकान का सपना महंगा हो जाएगा। कोरोना काल व रेरा में नई कॉलोनियों के रजिस्ट्रेशन अटकने से से प्रॉपर्टी बाजार में मंदी का दौर चल रहा है। प्रॉपर्टी के सौदे कम हो रहे हैं। इस बीच दरें बढ़ाए जाने से प्रॉपर्टी कारोबार पर विपरीत असर पड़ेगा।
160 से 200 रुपए तक ज्यादा देना होंगे
नई कॉलोनियों में वर्तमान में 330 रुपए व 400 तथा 440 रुपए तक की दरें हैं। नई गाइडलाइन लागू होने से लोगों को 560 से 600 रुपए तक की दर पर रजिस्ट्री करवाना होगी, यानी लोगों को 160 से 200 रुपए तक ज्यादा चुकाना होंगे।
दर में वृद्धि करने से रेवेन्यू बढ़ेगा
जिला पंजीयन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि जिन कॉलोनियों में वर्तमान में प्रॉपर्टी बिक रही है, वहां पर 40 से 50 प्रतिशत तक दर बढ़ाई है ताकि रेवेन्यू बढ़ सके। पुरानी कॉलोनियों में 20 प्रतिशत तक दरें बढ़ाई है। प्रापर्टी कारोबार से कई परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। प्रॉपर्टी के जानकारों का कहना है कि प्रॉपर्टी कारोबार को मंदी से उबारने के लिए बड़े पैकेज की आवश्यकता है। साथ ही बढ़ी हुई दरें नहीं लागू करना चाहिए, इसका प्रॉपर्टी कारोबार पर विपरीत असर पड़ेगा।
30 जून के बाद भी गाइडलाइन यथावत रखने की मांग
अभी कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण शासन ने 30 जून तक गत वर्ष की गाइडलाइन को ही यथावत रखा था। अब रियल इस्टेट से जुड़े कारोबारियों, ब्रोकरों और अभिभाषकों द्वारा यह मांग की जा रही है कि 30 जून के बाद भी गत वर्ष की गाइडलाइन को ही मान्य किया जाए, क्योंकि दो माह के लॉकडाउन के चलते सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं। लिहाजा नई गाइडलाइन इस साल लागू ना की जाए। 1 अप्रैल से अमूमन हर साल नई गाइडलाइन लागू कर दी जाती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते गाइडलाइन तैयार तो कर ली गई, लेकिन उसे लागू नहीं किया जा सका। शासन ने दो बार गत वर्ष की गाइडलाइन को लागू करने की घोषणा की और अभी 30 जून तक गत वर्ष की गाइड लाइन के आधार पर ही अचल सम्पत्तियों की रजिस्ट्री की जा रही है।