इन्दौर । इन्दौर जिले में टीकाकरण महा-अभियान का कारवां तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस अभियान में समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इसके फलस्वरूप अभियान में नित-नये अनूठे रिकार्ड के रूप में टीकाकरण हो रहा है। पहले दिन जहां सवा दो लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण कर इन्दौर ने देश में पहला स्थान बनाया, वहीं दूसरी और आज ड़ेढ लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण कर अपने तरह का एक अनूठा कीर्तिमान बनाया। इन्दौर में आज अभियान के तहत एक अनूठा उदाहरण देखने को मिला, जब मंदिर में दर्शन और आशीर्वाद के लिये नवदम्पत्ति को भगवान के दर्शन और आशीर्वाद के पहले कोरोना महामारी से बचाने के लिये टीके के रूप में जीवन सुरक्षा का नया कवच मिला।
इन्दौर में जगह-जगह नागरिकों को टीकाकरण के लिये हर स्तर पर प्रेरित किया जा रहा है। धर्मस्थलों पर भी टीकाकरण की जानकारी देकर नागरिकों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे टीका अवश्य लगवाये। इन्दौर में आज खजराना गणेश मंदिर में कुछ ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला। नवविवाहित जोड़ा गणेशजी के दर्शन करने मंदिर आया था। मंदिर के पुजारी श्री अशोक भट्ट ने नवदम्पत्ति से पूछा कि क्या आपने टीका लगवाया है? दूल्हे ने कहा अभी नहीं। पुजारी श्री भट्ट ने उन्हें समझाया कि भगवान के दर्शन और आशीर्वाद के साथ-साथ आज के वक्त में जीवन बचाने के लिये टीका लगवाना भी बहुत जरूरी है। पुजारी जी की बात पर नवदम्पत्ति जो कि देवास से आये थे श्री जीतेन्द्र मौर्य और उनकी पत्नी काजल मौर्य ने सहमति व्यक्त की। इस पर उन्हें सम्मान के साथ मंदिर परिसर में ही बने टीकाकरण केन्द्र लाया गया। यहां उन्हें टीका लगाया गया। उपहार स्वरूप उन्हें मास्क भी भेट किया गया। टीका लगवाने के बाद मंदिर में भगवान के उन्हें दर्शन करवाए गये।
पुजारी श्री भट्ट ने बताया कि व्यवस्था की जा रही है कि सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही खजराना मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए मंदिर परिसर में भी टीकाकरण केन्द्र बनाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को टीका लगवाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है।
:: घर जाकर लगाया टीका ::
जिले में कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में दिव्यांगों तथा ऐसे लोग जो चलने फिरने में असमर्थ है, उनके टीकाकरण के लिये विशेष व्यवस्था की जा रही है। इन्हीं व्यवस्थाओं का एक उदाहरण इन्दौर के मुराई मोहल्ले में भी दिखाई दिया। यहां टीकाकरण दल पहुंचा और चलने फिरने में असमर्थ भारती सिरसियां को टीका लगाया। यह प्रशासन की संवेदनशीलता का बेहतर उदाहरण बना।