Home मध्य प्रदेश पिछले एक वर्ष में करोड़ों रुपयों का शादी बाजार हुआ चौपट

पिछले एक वर्ष में करोड़ों रुपयों का शादी बाजार हुआ चौपट

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भोपाल । कोरोना की दूसरी लहर के बाद जून माह में जो शादियां हो रही हैं, उनमें बमुश्किल कुछ रिश्तेदार ही शामिल हो रहे हैं और सन्नाटे के बीच विवाह की रस्म अदा हो रही है। न कोई उत्साह और न ही कोई बराती। जिन नए जोड़ों की शादियां हो रही है, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका विवाह इस माहौल में होगा।

हर व्यक्ति का विवाह को लेकर एक सपना होता है, फिर भले ही वह लड़का हो या लड़की। भव्य रूप से शादी करने, नाचने-गाने और धूमधड़ाके के माहौल में विवाह होते आए हैं, लेकिन अभी तो जो दूल्हे बने हैं, बेचारे वे घोड़ी भी नहीं चढ़ पा रहे हैं और न ही कोई नाच रहा है। घर में ही बने मंडप में ढोल बजता है तथा उसमें ही शगुन के रूप में उपस्थित रिश्तेदार नाच-गा लेते हैं। ऐसा लग रहा है कि शादी मजबूरी की रस्म अदायगी रह गई है। जिला प्रशासन ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद वर-वधू पक्ष से कुल मिलाकर 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी है और इसी प्रोटोकाल में उज्जैन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह हो रहे हैं। भोपाल के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी यही वातावरण है। शादियां हो तो रही हैं, लेकिन प्रतिबंधों के कारण सिर्फ रस्म अदायगी है। जिन घरों में शादियां हैं उनके चेहरे का हाल बता रहा है कि वे इससे खुश नहीं हैं।

मुहूर्त कम होने के कारण भी कम ही हुए आयोजन

लॉकडाउन के दौरान कम ही शादियां हुई थीं। सबसे अधिक नुकसान होटल एवं मैरिज गार्डन वालों का हुआ है तथा घोड़ी वाले भी अपने घर का ही पैसा खर्च कर उनका पेट भर रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि कब पुराने दिन लौटेंगे और विवाह का जो कारोबार है वह कब चमकेगा।

खर्च बचाने के भी प्रयास

प्रतिवर्ष विवाह आयोजनों पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, जिससे बाजार चलता है, क्योंकि यह एक बड़ी रकम है। पिछले एक साल से विवाह कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं और इस अवधि में जितने भी कार्यक्रम हुए वे केवल गिनती के लोगों की मौजूदगी में हो पाए हैं। ऐसे में कई लोगों ने धड़ल्ले से विवाह आयोजन निपटाकर खुद को बेवजह के खर्च से बचाने का भी प्रयास किया है। कोरोना के डर की वजह से लोग भी अब विवाह, रिसेप्शन एवं अन्य सार्वजनिक आयोजनों से कतराने लगे हैं।

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