दुबई । वर्तमान में कदाचार के आरोपों को लेकर निलंबित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मनु साहनी ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया कि वह एक पूर्व नियोजित साजिश का शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा उनके खिलाफ हो रही जांच एक घोटाला और प्रताड़ना का प्रयास है।
साहनी ने 17 जून को हुई अनुशासनात्मक सुनवाई के विस्तृत जवाब में यह तर्क दिया है कि उन्हें सुनवाई की निष्पक्ष प्रक्रिया से वंचित और मूल न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा कर दिया गया है। उन्होंने पूरी जांच प्रक्रिया को भी घोटाला करार दिया है। निलंबित सीईओ ने सोमवार को एक बयान में कहा मुझे स्पष्ट और अच्छी तरह पता है कि मैं एक पूर्व नियोजित प्रताड़ित योजना का शिकार हुआ हूं। निष्पक्ष प्रक्रिया शुरू करने और मुझे निष्पक्ष सुनवाई देने के आश्वासन का सारा ढोंग पूरी तरह से बंद हो गया है। आईसीसी की आंतरिक नीतियों और यहां तक कि मूल न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि साहनी को 9 मार्च को चार विशिष्ट आरोपों के आधार पर निलंबित किया गया था। उन पर कुछ कर्मचारियों को लक्षित रूप से धमकाने, शारीरिक रूप से प्रभाव दिखाने, अपने व्यवहार के जरिए कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने और आईसीसी को रिपोर्ट करने में विफल रहने और उचित परामर्श के बिना निर्णयों को लागू करने के आरोप हैं। ये सभी आरोप प्राइसवाटरहाउसकूपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निष्कर्षों पर आधारित थे, जिसे आईसीसी में एक स्वतंत्र सांस्कृतिक मूल्यांकन करने का काम सौंपा गया था।
आईसीसी के निलंबित सीईओ ने कहा मेरा मानना है कि यह मेरी और आईसीसी की ईमानदारी के लिए महत्वपूर्ण है कि मैं मुझे पद से हटाने के इस प्रयास का विरोध करूं, जो एक बेहद खतरनाक मिसाल कायम करेगा। निलंबित आईसीसी सीईओ ने कहा मैं यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हूं कि मेरे कार्यकाल के दौरान आईसीसी की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को इतिहास से बाहर नहीं किया जाएगा। मुझे अपील करने का अधिकार है। मैं आईसीसी की अनुशासनात्मक नीति के पैराग्राफ 7 और मेरे रोजगार अनुबंध के खंड 17।4 के अनुसार बोर्ड को किसी भी दोषी निर्णय की अपील करने के अपने अधिकार का प्रयोग करूंगा।