Home मध्य प्रदेश नौकरी के ‎लिए संविदा प्राध्यापक बजरंग बली की शरण में

नौकरी के ‎लिए संविदा प्राध्यापक बजरंग बली की शरण में

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भोपाल । शहर स्‍थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) के संविदा प्राध्यापक अपनी नौकरी बचाने के ‎लिए बजरंगबली की शरण में  पहुंच गए हैं।  प्राध्यापकों ने बजरंग बली को ज्ञापन सौंपकर नौकरी बहाल करने की मांग की। ज्ञात हो ‎कि यूआइटी के करीब 100 संविदा प्राध्यापकों की सेवा इस कोरोना काल में समाप्त कर दी गई है। हालांकि, इसे प्रबंधन नियमित होने वाली प्रक्रिया बता रहा है। वहीं, संविदा प्राध्यापकों ने बताया कि वे सोमवार को कुलसचिव डॉ. आरएस राजपूत से मिलने गए, लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया। इसके बाद सभी संविदा प्राध्यापक हनुमान जी के मंदिर पहुंचे और उनके दरबार में नौकरी वापस दिलाने की अर्जी लगाई। प्रांतीय तकनीकी अतिथि एवं संविदा प्राध्यापक महासंघ के नेतृत्व में सभी ने हनुमानजी से नौकरी वापस दिलाने की गुहार की। संविदा प्राध्यापकों का आरोप है कि वे रजिस्ट्रार से मिलकर अपनी नौकरी के आदेश निकालने का आग्रह करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने आग्रह सुनने के बजाय एक महिला गार्ड को आगे कर दिया। उसने सभी प्राध्यापकों से बदसलूकी की। इतना ही नहीं, महिला गार्ड ने महिला आयोग एवं थाने में जाकर एफआइआर दर्ज कराने की धमकी भी दी। वहीं, कुलसचिव कार्यालय के एक कर्मचारी ने सभी महिला प्राध्यापकों से बदसलूकी कर मारके भगाने की धमकी दी। इस घटना की शिकायत कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता को कर कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

प्राध्यापकों ने रजिस्ट्रार के इस गलत व्यवहार का विरोध किया एवं अपनी नौकरी वापस मिल जाए, इसके लिए प्रांगण में स्थित में स्थित हनुमान जी के मंदिर में प्रार्थना की और एक प्रार्थना पत्र दिया। सभी ने अपनी परेशानी से अवगत कराया एवं हनुमान चालीसा का पाठ किया। गौरतलब है कि आरजीपीवी में यूआइटी के 72, पालीटेक्निक के 25 संविदा प्राध्यापक करीब बारह साल से पढ़ा रहे हैं। संविदा प्राध्यापकों ने बताया कि आरजीपीवी हर साल संविदा प्राध्यापकों को पुन: नियुक्त कर देता है, लेकिन इस बार बाहर कर दिया गया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवांश जैन ने बताया कि मंगलवार को तकनीकी शिक्षा मंत्री से मिलकर ज्ञापन देंगे और हमें नौकरी पर वापस नहीं लिया गया तो भूख हड़ताल करेंगे। इस बारे में आरजीपीवी के रजिस्ट्रार डॉ. आरएस राजपूत का कहना है ‎कि नियमित प्रक्रिया है। संविदा प्राध्यापकों को छह माह के लिए रखा जाता है। उनकी समय अवधि समाप्त हो चुकी है। इन्हें दोबारा रखने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही आदेश जारी किए जाएंगे।

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