नई दिल्ली । देशभर में निर्माणाधीन मेगा नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स में घटिया सामग्री के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहली बार केंद्रीय एजेंसियों के शीर्ष अफसरों पर नकेल कसी है। सरकार द्वारा गुणवत्ता के तय मानक से समझौता होने की स्थिति में अब वरिष्ठ अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट एसीआर में ड्यूटी में लापरवाही दर्ज की जाएगी। इससे न सिर्फ उनके प्रमोशन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि नौकरी भी खराब होगी। सरकार के इस फैसले से देश में टिकाऊ, सुरक्षित व मजबूत हाईवे बनने का रास्ता साफ होगा। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने 14 जून को एनएचएआई, एनएचएआईडीसीएल, बीआरओ व मंत्रालय के क्षेत्रीय अफसरों (आरओ) को उक्त आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में उल्लेख है कि हाईवे-टनल परियोजनाओं में गुणवत्ता नियंत्रण उपाय व प्रवर्तन संबंधी दिशा निर्देश मंत्रालय की ओर से कई बार जारी किए जा चुके हैं।
इसके बावजूद परियोजनाओं में घटिया सामग्री इस्तेमाल करने का सिलसिला जारी है और मानक प्रक्रिया को नहीं अपनाया जा रहा है। इसको देखते हुए मंत्रालय, एनएचएआई, एनएचएआईडीसीएल के क्षेत्रीय अफसर, अधीक्षक अभियंता, मुख्य अभियंता आदि वरिष्ठ अफसरों की जबावदेही तय कर दी गई है, जिसमें परियोजनाओं की निगरानी व पर्यवेक्षण की समूची जिम्मेदारी उनकी होगी। ड्यूटी में कोताही बरतने पर पहली बार सुधार और दूसरी बार मौखिक चेतावनी दी जाएगी। तीसरी बार लापरवाही बरतने पर लिखित चेतावनी दी जाएगी। इसका उल्लेख उनकी एसीआर में किया जाएगा। अफसरों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा का अधिकार सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव को होगा जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से राजमार्ग टिकाऊ बनेंगे और लंबे समय तक चलेंगे। मरम्मत पर बार-बार पैसा खर्च नहीं होगा। इससे सरकार के खजाने पर बोझ नहीं पड़ेगा। बारिश में राजमार्ग खराब नहीं होंगे और गड्ढे नहीं बनेंगे। गड्ढों के कारण बड़ी संख्या में सड़क हादसों में लोगों की मौत होती है।