भोपाल । पुलिस मुख्यालय में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चों की देखभाल के लिए झूला घर की व्यवस्था हो रही है। यहां एक डॉक्टर और शिक्षक की भी नियुक्ति की जाएगी। झूला घर में छह माह से छह साल तक के बच्चों को रखा जाएगा। बच्चों से संबंधित क्षेत्र में सिर्फ माता या पिता को ही आने की अनुमति होगी। लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि पुलिस मुख्यालय में काम करने वाले कुछ पुलिसकर्मियों को बच्चों के लालन-पालन में दिक्कत होती है। ऐसे एकल परिवारों में यह समस्या अधिक है, जहां पति-पत्नी दोनों काम करते हैं। पुलिसकर्मियों की सुविधा को देखते हुए यह योजना तैयार की गई है। इस सुविधा का लाभ पुरुष और महिला पुलिसकर्मी दोनों ले सकेंगे। इसके लिए झूलाघर खोला जाएगा। यहां बच्चों को सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक रखा जा सकेगा। इसके लिए मासिक शुल्क 800 से 1000 स्र्पये तक रखा गया है। बच्चों को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी अभिभावकों की ही होगी।
अधिकारियों का कहना है कि पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने इस योजना को सहमति दे दी है। इससे पुलिसकर्मी बच्चों की देखभाल को लेकर निश्चिंत हो सकेंगे। यह योजना अगस्त से शुरू की जाएगी। कोरोना संक्रमण अधिक होने पर इसे सितंबर तक भी बढ़ाया जा सकता है। यहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और इसकी एक लिंक माता या पिता के मोबाइल पर दी जाएगी। वे मोबाइल पर बच्चों को देख सकेंगे। बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी निगरानी के लिए एक डॉक्टर भी यहां रहेगा। अक्षर ज्ञान या होमवर्क के लिए शिक्षक की भी नियुक्ति की जाएगी। बच्चों की देखभाल के लिए नियुक्त होने वाले कर्मचारियों में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इस बारे में महिला अपराध अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव का कहना है कि योजना पर काफी समय से काम चल रहा था। पुलिस महानिदेशक की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई है। कोरोना संकट को देखते हुए यह सुविधा शुरू करने के समय पर मंथन चल रहा है। मुख्यालय के महिला या पुरुष पुलिसकर्मी इसका लाभ ले सकेंगे।