भोपाल । वन विहार नेशनल पार्क प्रबंधन ने सोमवार को तेंदुए को रातापानी वन्यजीव अभयारण्य में ले जाकर छोड़ दिया है। इस तेंदुए को रविवार की दोपहर रायसेन की गढ़ी बीट के सांकल गांव से रेस्क्यू किया था। राजधानी भोपाल में स्थित वन विहार नेशनल पार्क लाए जाने वाले किसी तेंदुए को पहली बार चौबीस घंटे के भीतर पिंजरे से आजादी मिली है। बताया जा रहा है कि किसानों द्वारा मवेशियों से सुरक्षा के लिए लगाए गए जालीदार तारों में यह तेंदुआ फंस गया था। वन विहार के चिकित्सक ने इस तेंदुए का मुआयना किया। वह पूरी तरह ठीक था, इसलिए इसे जंगल में छोड़ दिया गया। आमतौर पर वन विहार लाए जाने वाले वन्यप्राणियों को लंबे समय तक बाड़े में रखा जाता है, जो कैद के समान है। ये अमूमन ऐसे वन्यप्राणी होते हैं, जिन्हें गंभीर रूप से घायल व कमजोर होने के बाद वन विहार लाया जाता है। एक बार लाए जाने के बाद ज्यादातर वन्यप्राणियों का जीवन पार्क में ही बीत जाता है।
वन्यप्राणी विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक रहवास स्थल से रेस्क्यू किए जाने वाले वन्यप्राणियों को यदि कम समय के भीतर वापस किसी भी प्राकृतिक रहवास स्थल पर छोड़ दिया जाए तो खतरा नहीं होता है, लेकिन लंबे समय बाद छोड़ने में कई बार दिक्कत हो सकती है। रातापानी वन्यजीव अभयारण्य प्रबंधन तेंदुए की निगरानी कर रहा है। इसके मूवमेंट पर नजर रखने के लिए अलग से अमले की ड्यूटी लगाई है।वन विहार नेशनल पार्क के डायरेक्टर अजय यादव ने बताया कि वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. रजत कुलकर्णी ने जांच की। तेंदुए के शरीर में कोई चोट नहीं मिली है। वह पूरी तरह से स्वस्थ है। यह रिपोर्ट वन्यप्राणी कार्यालय को भेजी थी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक की सहमति के बाद इस तेंदुए को जंगल में छोड़ा है।