जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
आदिवासी बाहुल्य अंचल क्षेत्र धरमजयगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले बिरहोर जनजाति के लोगों को ग्राम पंचायत की कई सुविधाओं से वंचित रखने का मामला सामने आया है। वहीं बिरहोर जनजाति के लोगों ने स्थानीय ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को निष्क्रिय बताते हुए कहा कि इस पंचायत में उन्हें उनके सभी मौलिक अधिकारों से दूर रखा जा रहा है। पीएम आवास के आभाव में ये लोग टपकती घास फूं स के आशियाने में जीवन बसर कर रहे हैं। इतना ही नहीं इनकी दुर्दशा इन तस्वीरों के माध्यम से साफ देखी व समझी जा सकती है। हम बात करते हैं धरमजयगढ़ जनपद के ग्राम पंचायत सिंवार के बिरहोरों के बस्ती की जहां बेबसी झेल रहे एक बिरहोर महिला ने बताया कि दो वर्ष पूर्व गिरने से उस महिला का कमर टूट गया था। जिसके बाद से वह हाथों और कूल्हों के बल पर सरक सरक कर अपने दिनचर्या के कार्यो को करती है। पंचायत से पेंशन के अलावा और किसी भी प्रकार की योजनाओं का लाभ इस महिला को नहीं दिया गया। इसके अलावा इस परिवार के लोग घांस फूं स से झोपड़ी बनाकर टपकती छत के सहारे अपना जीवन गुजार रहे हैं। वही इस बात को लेकर जब सिंवार ग्राम पंचायत की सरपंच और सरपंच पति से जब हमारी टीम ने सम्पर्क किया तो उन्हें पंचायत के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। जबकि सचिव इस मुद्दे को लेकर गम्भीर तो दिखी पर जनपद के अधिकारियों और कर्मचारियों को इसका जवाबदार बताने का प्रयास करने लगी। बिरहोर जनजाति के लोगों की इस दुर्दशा को देख यह स्पष्ट हो गया कि राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र माने जाने वाले इन गरीबों के नाम की सारी योजनाएं स्थानीय विभागीय अधिकारियों की भेंट ही चढ़ती रही है। और विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग आज भी समाज के मुख्यधारा दे कोसों दूर है।