Home समाचार दुर्गापुर सेकेण्ड कोल ब्लाक पटरी पर लाने एसईसीएल का पहल गतिमान-रविन्द्र राय

दुर्गापुर सेकेण्ड कोल ब्लाक पटरी पर लाने एसईसीएल का पहल गतिमान-रविन्द्र राय

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धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़
लंबे अंतराल के बाद दुर्गापर सेकेण्ड कोल ब्लाक को ओपन करने सुस्त अवस्था में पड़े एसईसीएल नींद से अचानक जाग गई है। केन्द्रीय सरकार अर्धन और विकास 1957 की धारा 11 को क्लीयर कर लेने के बाद कंपनी के खिलाफ प्रभावित किसानों के बीच कुछ नुमाइंदो द्वारा भारी विरोध कर्मचारियों के साथ अभद्र वर्ताव उपरांत प्रोजेक्ट को एमओडी सिस्टम में लाकर ठेका कर दिया। ठेका कम्पनी को फेस सेकेण्ड में कुछ नियमों की पेंच फंसने के कारण प्रोजेक्ट चालू करने में डीले हो रहा है। कोल प्रधान कार्यालय से जिला व प्रोजेक्ट कर्मचारियों पर दबाव पडऩे के करण इनके द्वारा प्रोजेक्ट एरिया में गतिविधि तेज कर दिया। 1094 अंग्रेजों की भू-अधिग्रहण नीति फूट डालों और राज करो का अनुशरण करते हुए पिछले दिनों वैश्विक महामारी कोविड-19 व लॉक डाऊन को दरकिनार करते हुए किसानों के साइड रख जनप्रतिनिधियों से बैठक करने का शिगुफा फूंक दिया ताकि आपसी मनमुटाव व वैर बढाया जा सके। कोल बैरिंग क्षेत्र के बाहर के लोग फर्जी किसानों द्वारा तिल को ताड़ बनाकर अपने पूर्व नियत को बरकरार रख अपने आपको मसीहा, कर्मयोगी, शुभचिंक बन विरोध की लहर दौड़ा कर मन की लड्डू खाने लगे। जाहिर है एसीईसीएल के तीन कर्मचारी द्वारा नियत तिथि व समय पर पहुंचकर प्रोजेक्ट एरिया का परिभ्रमण कर 2-3 जनप्रतिनिधियों व दो-चार किसानों के साथ मुलाकात कर विवाद का माहौल गरम कर दिया। गुजरा वक्त के व वर्तमान फर्जीवाडों, शुरवीर,जागृति जगाने वालों ने इन कर्मचारियों को घर पर बुलाकर कुछ नुमाइंदों के साथ डिनर पार्टी कर लिया। प्रभावित किसानों को गुमराह करने वाले लोग हाथ मलते रहे गए और बौखलाहट से अपने आप को पसीस रहे हैं। यह बताना लाजिमी होगा, शासन द्वारा निर्धारित स्टाम्प अधिनियम 1899 के तहत् प्रभावित ग्रामों की रेट में मिलता है जो नियमानुसार है। प्रभावित किसानों द्वारा एकरूपता लाने के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष करते हुए ग्राम सभा में विषय से हटकर रेट की चर्चा कर सभा को उलझाते हुए फेल करते रहे चुकि स्टाम्प अधिनियम के तहत् रेट को राज्य को छोड़ परिवर्तन नहीं कर सकता तथा पूर्व में इस क्षेत्र में आए प्राइवेट कोल माइंस कम्पनी के नुमाइंदों द्वारा फूटडालों राज करो नीति अपनाते हुए किसानों को गुमराह करते हुए कुछ बेरोगारों, फर्जी, नियत में खोट रखने वालों को अपने तरफ कर कंपनी के कछ कर्मचारी और इन प्रवृति के स्थानीय लोगों को फलने-फूलने दिया। इसी लोभ में गिनती के लोग फिर एक बार कुकुरमुत्ते की तरह जाग गए। एसईसीएल को प्रोजेक्ट पीछे होते व कोल मंगलम के भारी दबाव के बाद प्राइवेट ठेका कंपनी को ठेका मिलते ही रूपये कमाने की पुन:वृति करने पहले की तरह कार्य करने लगे। किसानों को गुजरा कल से सीख लेना होगा, अपना हित, अहित ध्यान में रखना होगा तथा इन शुरवीर जन-जागृति जगाने वाले, प्रोजेक्ट के बाहर के लोग से व फर्जीवाडों को साईड कर निर्णय लेना होगा। उधर एसईसीएल द्वारा भी प्रभावित किसानों से संपर्क कर उनकी भावना टटोलना होगा। पर कंपनी के लोगों द्वारा डिनर पार्टी कर धरमजयगढ़ की शांत फिजा पर जहर घोलकर चला गया।

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