नई दिल्ली । भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने कहा है कि जब वह भारत की अंडर-19 और ‘ए’ स्तर की टीमों के कोच थे तब उन्होंने यह तय किया था कि दौरे पर जाने वाले हर खिलाड़ी को अवसर मिले। साथ ही कहा कि जब वह खेलते थे तब ऐसा नहीं होता था जिससे कई प्रतिभाएं सामने नहीं आ पातीं थीं। भारतीय टीम में आ रहे युवा प्रतिभाएं द्रविड़ के कोच रहते ही तराशी गयी हैं। वह अब अगले महीने शिखर धवन की कप्तानी में श्रीलंका के दौरे पर जाने वाली सीमित ओवरों की भारतीय टीम के कोच रहेंगे।
द्रविड़ अब भारत ए और अंडर-19 टीमों के साथ नहीं जाते हैं लेकिन इसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी कि दौरे पर जाने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को मैच खेलने का मौका जरूर मिले। द्रविड़ ने कहा , ”मैं खिलाड़ियों को पहले ही बता देता था कि यदि आप मेरे साथ ‘ए’ टीम के दौरे पर आए हो तो फिर आप यहां से मैच खेले बिना नहीं जाओगे। जब मैं जूनियर स्तर पर खेलता था तो मेरे अपने अनुभव ऐसे नहीं थे। ‘ए’ टीम के दौरे पर जाना और मैच खेलने का मौका न मिलना बहुत निराशाजनक होता था।’
उन्होंने कहा, ‘आप अच्छा प्रदर्शन करते हो। आप 700-800 रन बनाते हो। आप टीम के साथ जाते हो और वहां आपको अपनी योग्यता दिखाने का मौका नहीं मिलता है तो पूरी मेहनत ख्रराब हो जाती है। इसके बाद आपको चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने के लिए अगले सत्र में फिर से वे 800 रन बनाने होते हैं।’ द्रविड़ ने कहा, ‘ बारबार ऐसा करना आसान नहीं होता है, इसलिए इसकी कोई गारंटी नहीं कि आपको फिर से मौका मिलेगा। इसलिए आपको शुरू में खिलाड़ियों को कहना होता है कि यह सर्वश्रेष्ठ 15 खिलाड़ी हैं और हम इनके साथ खेलेंगे। भले ही यह सर्वश्रेष्ठ एकादश न हो। अंडर-19 स्तर पर हम मैचों के बीच पांच-छह बदलाव कर सकते हैं।’ द्रविड़ ने कहा कि भारतीय क्रिकेटरों को अब दुनिया में सबसे फिट माना जाता है लेकिन एक जमाना था जबकि उन्हें फिटनेस की पूरी जानकारी तक नहीं थी।