टोक्यो। वैज्ञानिकों को दो ऐसे समुद्री जीव मिले हैं जो 27.30 करोड़ साल पहले ही विलुप्त मान लिए गए थे। ये खोज करने वाले वैज्ञानिकों के साथ पूरी दुनिया की साइंटिस्ट बिरादरी आश्चर्यचकित है। सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि ये जीव एक दूसरे के साथ सिम्बायोटिक रिलेशनशिप यानी सहजीवी संबंध बनाकर अब भी मौजूद हैं।
यह धरती पर मिलने वाले पहले ऐसे जीव हैं जो इतने करोड़ों साल के बाद भी समुद्र में जीवित हैं। वैज्ञानिकों ने इसे जापान के पास प्रशांत महासागर की गहराइयों में खोजा है। जापान के होंशू और शिकोकू परफेक्चर के तटों के नीचे वैज्ञानिकों ने देखा कि समुद्री लिली नामक जीव के शरीर पर षटकोण नॉन-स्केलेटल कोरल का जन्म हो रहा है। समुद्री लिली को क्रिनॉयड्स भी कहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिला है कि समुद्री लिली के तने से हेक्साकोरल विकसित हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की तो पता चला यह संबंध 27.30 करोड़ साल पुराना है। यह संबंध उस समय का है जिसे पैलियोजोइक काल कहते हैं।
23 करोड़ साल से 54 करोड़ साल पहले के इस दौर में समुद्री लिली और हेक्साकोरल के बीच ऐसे संबंध हुआ करते थे। उस समय के जीवाश्मों के अध्ययन से ये बात पुख्ता होती है। लेकिन अब यही सहजीवी संबंध वैज्ञानिकों को दोबारा प्रशांत महासागर की तलहटी में देखने को मिला, जिससे वे काफी हैरान हैं। कोरल्स करोड़ों सालों से समुद्री लिली के तनों का सहारा लेकर समुद्र में ऊपर की ओर बढ़ते हैं ताकि ज्यादा रोशनी हासिल कर सकें। जिस खास कोरल और समुद्री लिली के बीच यह संबंध देखने को मिला है, वो दोनों 27.30 करोड़ साल पहले ही खत्म हो चुके थे। इसका रिकॉर्ड भी है। दूसरे कोरल और समुद्री लिली मीसोजोइक काल में विकसित हुए। उनके बीच में सहजीवी संबंध बना लेकिन वैज्ञानिकों ने अभी जो सहजीवी संबंध वाले कोरल और लिली खोजे गए हैं, वो अत्यधिक दुर्लभ हैं। मीसोजोइक काल 6.30 करोड़ साल से 23 करोड़ साल के बीच का समय है।
जापान में प्रशांत महासागर की 330 फीट की गहराई में ये दुर्लभ सहजीवी संबंध देखने को मिला। जो हेक्साकोर समुद्री लिली के तने पर विकसित हो रहा है, उसका नाम है एबिसोएंथस। जबकि, जापानी समुद्री लिली का नाम है मेटाक्रिनस रॉटुंडस। इन दोनों सहीजीवियों को पोलैंड और जापान के वैज्ञानिकों ने मिलकर खोजा है। इस टीम के नेतृत्वकर्ता और वॉरसॉ यूनिवर्सिटी में पैलिएंटोलॉजिस्ट मिकोलाज जैपलस्की ने पहली बार हेक्साकोरल-समुद्री लिली स्टीरियोस्कोपिक माइक्रोस्कोपी की है। जिससे उनके सहजीवी होने के कई बायोलॉजिकल प्रमाण मिले हैं। मिकोलाज जैपलस्की ने इन जीवों के डीएनए सैंपल लेकर उनकी बारकोडिंग भी की है। ताकि उन जीवों की पहचान हो सके। जब उन्होंने बारकोड को अपने डेटा से मिलाया तो मिकोलाज और उनकी टीम हैरान रह गई। क्योंकि ये दोनों जीव और उनके बीच का संबंध 273 मिलियन साल यानी 27.3 करोड़ साल पुराना है।