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अनुकंपा नियुक्ति के सभी लंबित मामलों में 15 जून से स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू

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कोरबा कोरबा जिले की कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल ने तय किया है कि ड्यूटी के दौरान मृत कोयला कर्मचारियों के आश्रित को जल्द ही अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिया जाएगा। चाहे जिन कारणों से भी ऐसे मामले क्यों ना लटके हों इन सभी में 15 जून से स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और नामांकित को नौकरी दिए जाने की कार्यवाही की जाएगी। स्पष्ट किया गया है कि अनुकंपा नियुक्ति में अब प्राथमिकता क्रम जैसा कोई मसला सामने नहीं होगा।

     जानकारी के अनुसार साउथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड की छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में संचालित कोयला परियोजनाओं में बीते समय में अधिकारियों और कर्मचारियों की मृत्यु सेवाकाल के दौरान होने की स्थिति में आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ देने की कार्यवाही विलंबित बनी हुई थी। हालांकि प्रबंधन के कार्मिक विभाग के द्वारा ऐसे सभी मामलों में मृत कार्मिकों के पात्र आश्रित को नियुक्ति दिए जाने के लिए नामांकन से संबंधित औपचारिकताओं को पूरा कराया गया था। इसके साथ परियोजना से लेकर क्षेत्रीय स्तर पर कार्यवाही करने के साथ फाइल  हेड क्वार्टर भेजी गई थी। श्रम शक्ति सेक्शन से इस काम को आगे बढ़ाया जाना था। अलग-अलग कारणों से ऐसे मामलों में अगली कार्यवाही लंबित थी। इसे जानने और प्रगति के बारे में लगातार अपडेट देने का काम संबंधित पक्ष कर रहा था।

     वर्तमान स्थिति में कहा जा रहा है कि एसईसीएल के सभी क्षेत्रों से संबंधित ऐसे प्रकरणों के विषय पर 15 जून से स्क्रीनिंग कराई जाएगी। दस्तावेजों का परीक्षण अनेक स्थानों पर पहले ही हो चुका है। जिन प्रकरणों में कुछ कमियां हैं या भौतिक सत्यापन जैसी प्रक्रिया बची है उसे जल्द फाइनल करने के साथ अनुकंपा नियुक्ति संबंधी आदेश प्रसारित किये जाएंगे। कार्मिक विभाग के सूत्रों ने बताया कि पूरी संवेदनशीलता के साथ इस दिशा में काम करने की कोशिश की जा रही है। अब इसमें और ज्यादा प्रतीक्षा दिवंगत कर्मियों के नामांकितों को नहीं करनी होगी। कोरोना से मौत की प्राथमिकता से किनारा इससे पहले इस तरह की बातें सामने आई थी कि एसईसीएल कंपनी ने अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में अपने स्टैंडर्ड बदले हैं। इसके अंतर्गत वरीयता क्रम में उन मामलों में अनुकंपा नियुक्ति पहले दी जाएगी, जिनमें कार्मिक की मौत कोविड-19 के कारण हुई है। जबकि अन्य कारणों से मृत कर्मियों के मामले में विचार बाद में होगा। यह विषय सामने आने पर इसका विरोध शुरू हो गया था। तर्क दिया जा रहा था कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए कर्मचारी की मृत्यु तिथि मायने रखती है ना कि उसके पीछे जुड़ा कारण। यही कारण है कि कंपनी को अब एक समान रूप से इस विषय पर काम करने के लिए मानसिकता बनानी पड़ी है।

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