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घायल बाघिन को कानन पेंडारी लाया गया

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बिलासपुर- अचानकमार टाइगर रिजर्व के छपरवा रेंज में मिली जिस घायल बाघिन को लेकर वन विभाग के अधिकारी आज हाय तौबा मचा रहे हैं उसके लगभग 20 दिनों से इस क्षेत्र में विचरण करने की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग के ताहुतदार अधिकारियों के द्वारा उसके प्रति पूरी तरह से लापरवाही बरती गई। जबकि सूत्रों के अनुसार अधिकारियों को स्पष्ट जानकारी दी जा चुकी थी कि एक बाघिन अब टाइगर रिजर्व क्षेत्र के छपरवा रेंज में घूमते पाई गई है। भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बाघिन के घायल होने की जानकारी 3 दिन पहले ही वन विभाग के जमीनी हमले को मिल चुकी थी। लेकिन उन्होंने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और अपने उच्चाधिकारियों को इसके बारे में जानकारी देने से परहेज किया। 3 दिन पहले छपरवा रेंज में नदी किनारे इस घायल बाघिन को कुछ गांव वालों ने देखा था। और इसकी सूचना वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को दी थी। इसके बाद भी उन्होंने इसकी जानकारी ऊपर उच्चाधिकारियों को नहीं दी। जब मीडिया में इस घायल बाघिन को लेकर शुरू शुरू हुआ तब वन विभाग के उच्चाधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा से जागे और घायल बाघिन की तलाश के लिए अधिकारियो की टीम आज अचानकमार टाइगर रिजर्व में जा धमकी। और वहां काफी जद्दोजहद के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए सपरिवार रेंज में किसी स्थान पर घायल बाघिन तक जा पहुंचे। और उसे एक गाड़ी में रखकर टाइगर रिजर्व से कानन पेंडारी लाया गया। *सिर्फ लापरवाही और लापरवाही* बाघिन को घायल होने से बचाया जा सकता था बशर्ते उसके क्षेत्र में विचरण करने की जानकारी वन विभाग का जमीनी हमला उच्चाधिकारियों तक पहुंचाता। अचानकमार टाइगर रिजर्व में वैसे भी बाहर के दर्शन तक किसी को नसीब नहीं होते। ऐसे में एक बाघिन के दिखने की सूचना को गंभीरता से लिया जाना था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बाहर हाल अभी इस सवाल का जवाब मिलना बाकी है कि उक्त बाघिन अचानकमार टाइगर रिजर्व में कहां से आई और कब से आई वही इस सवाल का जवाब भी खोजना होगा कि वह घायल हुई है अथवा किसी ने उसे घायल किया है।

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