बिलासपुर । राजस्व विभाग में अधिकारियों और भूमाफियाओं की सांठगांठ जगजाहिर है। सूत्रों की माने तो बिलासपुर तहसील में चल रही जंगलराज पर राजस्व कमिश्नर संज्ञान लेते हुए जल्द ही कार्यवाही की बात कही जा रही है ?,मोपका धान मंडी के पास खसरा नम्बर 993/1/ज पटवारी,तहसीलदार हवा में उड़ा कर पीछे की जमीन को सामने सड़क पर बैठा दिया। जिसका शिकायत मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, राज्यपाल, जिलाधिकारी बिलासपुर से किया गया। बिलासपुर कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 6 सदस्यीय टीम गठित करते हुए 10 दिन में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था अब लॉकडाउन खुल जाने से उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों पर कार्यवाही की तलवार लटक रही है। पूरा मामला यह है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों और भू माफियाओं ने ऐसा खेल खेला की मोपका पटवारी के रिकार्ड में खसरा नंबर 993/1/ज रकबा 2.00 एकड़ मेसर्स मां अमोला बिल्डर द्वारा भागीदार शशिकांत पिता कामता प्रसाद कश्यप साकिन जरहाभाठा,अंबिका प्रसाद पिता लल्लू सिंह साकिन देह के नाम पर दर्ज है।
नक्शा में खसरा नम्बर 993/1/ज का बटांकन दर्ज नही है। वही देखा जाय तो ऑनलाइन नक्शा में पूर्ब से खसरा नंबर 993/1/ज का बटांकन दर्शित है जो पटवारी द्वारा काटा गया है परंतु भमिूस्वामी मेसर्स मां अमोला बिल्डर बिलासपुर द्वारा भागीदार शशीकांत कश्यप पिता कामता प्रसाद कश्यप निवासी जरहाभाटा का वर्तमान मौका कब्जा उक्त बटांकित नक्शा से लगभग 350 फुट दूरी पर मोपका से धान मंडी वाली मुख्य मार्ग पीडब्ल्यूडी सड़क पर है जिस पर वर्तमान में विवाह भवन रवि हाइटस बना हुआ है। जबकि देखा जाय तो नक्शा में खसरा नंबर 993/1/ज का बटांकन नही है एवं खसरा नंबर 993/1/क लिखा है। अमोला बिल्डर्स वर्तमान में जिस भूमि पर काविज है नक्शा के अनुसार खसरा नंबर 993/1 का भाग है जो कि खसरा पंचसाला में खसरा नंबर 993/1/क रकबा 139.80 एकड़ बड़े झाड़ का जंगल छत्तीसगढ़ शासन प्रबंधक कलेक्टर लिखा है। पूर्व के रिकार्ड वर्ष 1991-92 में संशोधित प्रविष्ट में म प्र दर्ज है एवं कलम 12 कैफियत में आदेश का हवाला दिया गया है जो की छाया प्रति खसरा पंच साला में स्पष्ट दिख रहा है। वही देखा जाए तो रजिस्ट्री बैनामा दिनांक 13 7 2010 की छायाप्रति में संलग्न दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि तत्तकालीन पटवारी के लाते गए 22 बिंदु में अंकित चौहद्दी एवं पंजीकृत बैनामा में संलग्न नक्शा प्रतिलिपि में भिन्नता है रजिस्ट्री में भी संलग्न नक्शा प्रतिलिपि में खसरा एवं 993 बटा एक उत्तर दिशा में 993 बटा 6 अंकित है एवं इसके उत्तर दिशा में 993 बटा 1 अंकित है इस नक्शा प्रतिनिधि के अनुसार यदि यह सही अंकित है तो यह भूमि मौका राहुल ढाबा पीडब्ल्यूडी सड़क से लगभग 400 फुट की दूरी पर स्थित है। रजिस्ट्री में संलग्न अतिरिक्त कलेक्टर अनुमति पत्र में केवल मात्र कृषि प्रयोजन हेतु दिया जाना उचित है साथ ही प्रतिवेदन में हल्का पटवारी का स्पष्ट अभिमत मांगा गया है । राजस्व रिकार्ड के अनुसार खसरा नंबर 993/1 बड़े झाड़ का जंगल अंकित है तो इस इसी में पट्टा के संबंध में नियमानुसार परीक्षण होना भी जरूरी है वर्ष 1992 में किन कारणों से पट्टा निरस्त किया गया और भूमि वापस मप्र शासन दर्ज किया गया इसका परीक्षण भी आवश्यक है साथ ही तत्संबंध में शासन के नियमानुसार कार्यवाही किया जाना उचित होगा । अब देखना यह होगा कि कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर और संभागायुक्त क्या कार्यवाही करते है।
एक और बात है कि अकेले बिलासपुर तहसील में 5000 से ऊपर नामांतरण के केस लंबित है एक एक साल से। मगर संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद दिया तले अंधेरा वाली बात है। छोटे छोटे गरीब लोग जो अपने खून पसीने की कमाई का एक एक रुपया जोड़कर बैंक से लोन लेकर जमीन का एक टुकड़ा लिए हैं वो एक एक साल से तहसील के चक्कर काट रहें है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। एसडीएम देवेंद्र पटेल के संज्ञान में सब तथ्य हैं लेकिन पता नहीं उन्होंने क्यों आंख बंद कर रखा है। चहेते तहसीलदार को बचाने आम जनता के हित को भी दांव में लगा दिए हैं।