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4 माह में 100 किलोमीटर चलकर भारत से बांग्लादेश पहुंच गया यह बाघ

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नई दिल्ली । भारत में रह रहा रेडियो कॉलर वाला एक बाघ चार महीने के दौरान लगभग 100 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद बांग्लादेश के सुंदरबन में पाया गया। पश्चिम बंगाल के मुख्य वन्यजीव वार्डन वीके यादव ने बताया कि नर बाघ की गतिविधि को ट्रैक करने के लिए दिसंबर 2020 में रेडियो कॉलर लगाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, बाघ को पश्चिम बंगाल के बशीरहाट रेंज के तहत हरिखली शिविर के सामने हरिनभंगा जंगल से पकड़ा गया था और इसके सैटेलाइट कॉलर लगाकर 27 दिसंबर 2020 को छोड़ दिया गया था। पड़ोसी देश की अपनी लंबी यात्रा के दौरान बाघ ने कई बाधाओं को पार किया। इनमें रास्ते में पड़ने वाली कई नदियां ऐसी थीं जो कुछ एक किलोमीटर से भी अधिक चौड़ी थी। वीके यादव ने बताया कि आखिरकार सभी बाधाओं को पार करते हुए बाघ चार महीनों की अवधि में तीन द्वीपों को पार कर गया। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश की अपनी चार महीने की यात्रा के दौरान बाघ किसी भी मानव आवास में नहीं गया। वीके यादव ने बताया कि भारतीय इलाके में कुछ दिन रहने के बाद बाघ ने बांग्लादेश के सुंदरबन में तलपट्टी द्वीप में प्रवेश करना शुरू कर दिया। इस दौरान बाघ ने छोटो, हरिखली, बोरो हरिखली और यहां तक कि रायमंगल जैसी नदियों को पार किया। उन्होंने बताया कि बाघ मूल रूप से बांग्लादेश से आया होगा, इससे पहले कि वन अधिकारियों ने उसे टैगिंग के लिए पकड़ लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, बाघ की अंतिम लोकेशन 11 मई को बांग्लादेश के तलपट्टी द्वीप में देखी गई थी। 11 मई के बाद बाघ के बारे में कोई अपडेट नहीं होने के संभावित कारणों पर प्रकाश डालते हुए यादव ने कहा कि हो सकता है कि उसकी गर्दन से कॉलर फिसल गया हो। उन्होंने बाघ की मौत होने के सवाल पर कहा कि रेडियो कॉलर में एक सेंसर लगा है।  अगर बाघ की मौत होती है तो उन लोगों को इसका पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि रेडियो कॉलर बाघ के गले से निकल गया हो या सुंदरबन में पानी में लवणता रेडियो कॉलर को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

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