भोपाल । कोरोना संकटकाल में राज्य सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बाद उननका मानदेय तो बढा दिया है लेकिन सरकार की मुश्किलें भी बढने वाली है। राज्य सरकार ने जूडॉ का 10 हजार रुपए प्रति महीने बढ़ा दिया है, लेकिन अब इससे स्वास्थ्य विभाग के सामने भी बड़ी मुश्किल आने वाली है। वजह, अब पीजी के बाद अनिवार्य ग्रामीण सेवा के तहत एक साल के लिए नौकरी में जाने वाले यही डॉक्टर अब मानदेय से ज्यादा वेतन की मांग करेंगे। इसके पीछे उनका यही तर्क होगा कि जब पढ़ाई के दौरान मानदेय ज्यादा मिल रहा है, तो ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी के दौरान वेतन कम कैसे हो सकता है। सरकार की तरफ से सोमवार को जारी एक आदेश के अनुसार जूनियर डॉक्टरों का मानदेय प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्रमशः 55000, 57000 और 59000 से बढ़ाकर 65000, 67000 और 69000 कर दिया गया है। नौकरी के दौरान पीजी डिप्लोमा वाले चिकित्सक को 57000 और पीजी डिग्री वाले डॉक्टर को 59000 रुपए मिलते हैं। जूडा का मानदेय बढ़ने के बाद अब इसमें विसंगति हो गई है। पीजी बांडेड डॉक्टरों का वेतन कम होने की वजह से ही कई डॉक्टर सेवा में नहीं जाते थे। वह बांड की राशि जमा कर इससे मुक्त हो जाते थे। लिहाजा सरकार ने अब यह व्यवस्था कर दी है कि अनिवार्य ग्रामीण सेवा हर हाल में करनी होगी, नहीं तो डॉक्टरी का पंजीयन मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल से निरस्त कर दिया जाएगा।अनिवार्य ग्रामीण सेवा बांड के तहत इन्हीं डॉक्टरों को एक साल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय जगह पर नौकरी के लिए जाना होता है।