मुम्बई । भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति के अध्यक्ष रहे किरण मोरे ने कहा है कि उन्होंने ही सबसे पहले विकेटकीपर बल्लेबाज महेन्द्र सिंह धोनी को टीम में शामिल करने के लिए पूर्व कप्तान सौरव गांगुली से बात की थी और उन्हें दस दिनों तक मनाया भी था। धोनी जब आये थे तब राहुल द्रविड़, दीपदास गुप्ता और दिनेश कार्तिक जैसे विकेटकीपर टीम में थे पर किसी की भी जगह पक्की नहीं हुई थी। टीम को एक ऐसा विकेटकीपर चाहिये था जो तेजी से रन भी बना सके और धोनी इस पैमाने पर फिट बैठे।
वेस्ट इंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज कर्टली एम्ब्रोस के साथ एक यूट्यूब साक्षात्कार में मोरे ने द कि उस समय हमें एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी, जो आक्रामक बल्लेबाजी भी कर सके और द्रविड़ की जगह ले सके और ऐसे में हमें धोनी सबसे बेहतर लगे। द्रविड़ उस दौरान एकदिवसीय में विकेटकीपर की अतिरिक्त भूमिका निभा रहे थे। मोरे ने कहा, ‘उस समय हमें एक पावर हिटर की तलाश थी जो 6 या 7 नंबर पर आकर तेजी से 40-50 रन बना सके। द्रविड़ विकेटकीपिंग कर रहे थे और 75 मैच बतौर विकेटकीपर खेल चुके थे। इस वजह से हम एक पूर्णकालिक विकेटकीपर की तलाश जोर-शोर से कर रहे थे.’
मोरे ने 2004 के दिलीप ट्रॉफी फाइनल की बात याद करते हुए कहा कि हम चाहते थे कि फाइनल में बतौर विकेटकीपर धोनी खेलें। इसके बाद गांगुली और दीपदास से मेरी काफी बहस भी हुई थी। फिर मुझे सौरव और चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास से विकेटकीपिंग ना कराने और धोनी को विकेटकीपिंग करने देने के लिए समझाने में 10 दिन लग गए।
यह फाइनल मुकाबला नॉर्थ जोन और ईस्ट जोन के बीच था। धोनी, सौरव गांगुली और दीपदास गुप्ता ईस्ट जोन की टीम का हिस्सा थे। उस मैच में धोनी ने ओपनिंग की थी। उन्होंने पहली पारी में 21 और दूसरी पारी में सिर्फ 47 गेंदों में 60 रन बनाए थे।