पटना । पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी क्या इन दिनों कोई नई सियासी खिचड़ी पका रहे हैं? बिहार के सियासी गलियारे में इसको लेकर कयासों का दौर जारी है। कुछ दिनों से उनके द्वारा किए जा रहे ट्वीट भी ऐसी चर्चाओं को हवा दे रहे हैं। इसी क्रम में श्री मांझी ने मंगलवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को उनकी शादी की 48वीं सालगिरह की बधाई दी है। यह भी गौरतलब है कि मांझी की यह बधाई हम की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की पूर्व संध्या पर आई है। बुधवार को हम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। ऐसे में लोगों की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं कि आखिर श्री मांझी अपने पार्टी पदाधिकारियों को क्या संदेश देते हैं। बैठक में कौन-कौन से अहम निर्णय लिये जाते हैं। ध्यान देने लायक है कि बिहार में एनडीए का अंग रहते हुए भी श्री मांझी के हाल के रुख से राजनीतिक हलचल तेज हुई है।
उन्होंने गत 24 मई को ट्वीट कर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। तल्ख टिप्पणी की थी कि टीकाकरण के प्रमाणपत्र पर तस्वीर लगाने का इतना ही शौक है तो कोरोना से मरने वाले के डेथ सर्टिफिकेट में भी इनकी तस्वीर होनी चाहिए। इसके एक दिन पहले 23 मई को उन्होंने कहा था कि देश में संवैधानिक संस्थाओं के सर्वेसर्वा राष्ट्रपति होते हैं तो कोरोना के प्रमाणपत्र पर भी उन्हीं की तस्वीर होनी चाहिए, ना कि प्रधानमंत्री की। 29 मई को श्री मांझी के आवास पर जाकर उनसे वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी मिले थे। मुलाकात के दौरान सहनी ने श्री मांझी की उस मांग का समर्थन किया था, जिसमें उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह बढ़ाने की बात कही थी। सरकार में रहते हुए इन दोनों की यह सार्वजनिक मांग भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी। मालूम हो कि इन दोनों नेताओं की पार्टियां बिहार में एनडीए सरकार की अंग हैं। दोनों के एक-एक मंत्री हैं। हालांकि श्री मांझी ने मंगलवार को परामर्शी समिति से पंचायतों का कार्य कराने के निर्णय पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया है। एनडीए के तमाम नेता भले ही यह दावा कर रहे हैं कि जीतन राम किसी और के ‘मांझी’ नहीं बनेंगे, लेकिन जानकारों का तर्क है कि मांझी की सियासी उड़ान भरने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर है।