भोपाल । कोरोना महामारी की वजह से माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल ने प्रदेश भर में कक्षा 10वीं की बोर्ड के छात्रों को जनरल प्रमोशन देने का निर्णय लिया है। लेकिन माध्यमिक शिक्षा मंडल ने प्रति छात्रा बोर्ड परीक्षा फीस के रूप में प्रति छात्र वसूले 900 रुपए वापस नहीं किये हैं। इस लिहाज से प्रदेशभर में कक्षा दसवीं के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं हैं, जिनसे 80 करोड़ रुपए से अधिक परीक्षा फीस ली है। जबकि बोर्ड ने फीस वापसी को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है, जबकि 10वीं की परीक्षा में जनरल प्रमोशन मिलने से बोर्ड का परीक्षा पर होने वाला पूरा खर्च बच गया है लेकिन बोर्ड इसमें भी अपनी कमाई देख रहा है। बोर्ड के सचिव उमेश कुमार सिंह का कहना है कि फीस वापस कर देंगे तो बोर्ड के कर्मचारियों का वेतन, पेंशन कहां से देंगे।
प्रदेश सरकार से लोगों को अपेक्षा है कि परीक्षा रद्द होने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल से परीक्षा फीस भी माफ कराई जाए। पालक और बच्चे फीस वापसी की मांग उठाने लगे हैं। कोरोना कफ्र्यू के चलते कई लोगों को घरों पर बैठना पड़ा है, ऐसे में नौ सौ रुपए उन बच्चों के लिए बड़ी रकम है।
प्रश्न पत्र-उत्तरपुस्तिका छपवाने में प्रति छात्र 50 से 60 रुपए ही खर्च
माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित कराने के लिए प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिकाएं पहले ही छपवा चुका है। इस काम में पैसा खर्च होने का तर्क दिया जा रहा है। यदि प्रति छात्र प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका पर खर्च राशि का आंकलन करें तो अधिकतम 50 से 60 रु. खर्च आ रहा है। अंकसूची और प्रैक्टिकल की ओएमआर शीट का भी खर्च जोड़ लिया जाए तो अधिकतम प्रति छात्र 150 रु. से अधिक खर्च नहीं हो रहा। ऐसे में शेष राशि छात्रों को लौटा देना चाहिए। सिर्फ प्रैक्टिकल और ओएमआर शीट का ही खर्च, परीक्षा ड्यूटी, परिवहन, कॉपी जांचने का खर्च बचा, पेपर और उत्तरपुस्तिका अगले साल भी काम आ सकती हैं
बिना परीक्षा छात्रों को ऐसे मिलेंगे अंक
माशिमं ने दसवीं का रिजल्ट संस्था स्तर पर बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए छात्र के प्रीबोर्ड के अंकों का 50 प्रतिशत, यूनिट टेस्ट के अंकों का 30 प्रतिशत और इंटरनल परीक्षा के अंकों का 20 प्रतिशत मान से रिजल्ट बनाना है। इसे समय सीमा में ओएमआरशीट में भरकर मंडल को भेजना है। इसके बाद माशिमं दसवीं का परीक्षा परिणाम जारी करेगा।
इनका कहना है
माध्यमिक शिक्षा मंडल के पास आय के ज्यादा साधन नहीं हैं। परीक्षा फीस और निजी स्कूलों की संबद्धता से इसकी पूर्ति होती है और यही आय का बड़ा साधन है। इसी से पेंशन, वेतन व अन्य खर्चे निकलते हैं। चूंकि कॉपियां और प्रश्न पत्र छपवाने पर खर्चा भी हुआ है। परीक्षा फीस माफ करने का विचार नहीं किया है। छात्रों के लिए विकल्प भी खुला है, यदि वे रिजल्ट से असंतुष्ट हैं तो परीक्षा दे सकते हैं।
उमेश कुमार सिंह, सचिव, माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल