भोपाल । मप्र में बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए शासन द्वारा हर महीने करोड़ों रुपए पोषण आहार पर खर्च किए जा रहे हैं। यह राशन हर महीने घटिया क्वालिटी का आहार स्व सहायता समूह बांटते आ रहे हैं। यह आहार की गुणवत्ता जांच, महिला एवं बाल विकास के अफसरों को करनी चाहिए। यह अफसर, आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने के लिए जाते हैं, परंतु राशन को देखते ही मुंह फेर लेते है। इन अफसरों द्वारा अब तक राशन की क्वालिटी जांच हेतु सैम्पलिंग नहीं कराई। इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गुणवत्ता की जांच कराने में पैसा खर्च होता है।
प्रदेश में करीब में 92 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र हंै। एक आंगनबाड़ी केंद्र पर बीस से पचास बच्चों को प्रतिदिन राशन दिया जाता है। यह पोषण आहार पर सरकार प्रति महीने करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। यह राशन बांटे जाने के बाद बच्चों की हेल्थ में कोई आश्चर्यजनक बदलाव नहीं आ रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि अधिकांश जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बांटे जाने वाले राशन की गुणवत्ता घटिया रहती है। यहां निम्न गुणवत्ता का राशन देकर बच्चों की हेल्थ सुधार कार्यक्रम चल रहा है। ऐसी स्थिति में दिनोंदिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की संख्या गिरावट आ रही है।