बिलासपुर-
जिले के जिला उपाध्यक्ष रौशन सिंह ने राज्यपाल को लिखे पत्र के माध्यम से राज्य में लोकतंत्र के विफल होने और राज्य सरकार के द्वारा टीकाकरण जैसे राष्ट्रीय मुद्दे पर लोगों की जान माल के साथ खिलवाड़ करने की समस्या को लेकर छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग की है।
रौशन ने अपने पत्र पर कहा समाज में महामारी के निदान के बजाएं सामाजिक आधार पर आर्थिक वर्ग बनाकर राज्य सरकार ने टीकाकरण कार्यक्रम की दिशा बिगाड़ दी और लोगों की जान माल के साथ खुला खिलवाड़ किया। माननीय उच्च न्यायालय में दर्ज जनहित याचिका पर वर्गीकरण के संबंध में सरकार के पास जवाब नहीं है। देशव्यापी टीकाकरण ऐप होने के बावजूद सीजी टीका ऐप बनाया गया जिसमें पंजीयन से लेकर के केंद्र निर्धारण एवं अन्य विकल्पों इस संबंध में दी गई व्यवस्थाएं सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाई। पंजीयन के बावजूद लोग टीका केंद्रों पर जाकर भटक रहे हैं।
टूल किट मामले में राष्ट्रीय नेताओं पर अपराधिक मामले दर्ज किया जाना लोकतांत्रिक मूल्यों प्रदेश में सबसे बड़ी गिरावट है। केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद ब्लैक फंगस को महामारी घोषित नहीं किया गया है। सरकार का संघवाद पर विश्वास नहीं है,वह हमेशा भारत देश से अलग आचरण करने पर उतारू रहती है, केंद्र के निर्देश के बावजूद राज्य की जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए टीका की खरीदी के लिए ग्लोबल टेंडर नहीं निकाला जा रहा है। राज्य सरकार मुफ्त की घोषणाओं में पैसे बांटने वालों और गोबर खरीदी में मस्त है। पूर्व मुख्यमंत्री जी घर में नजरबंदी कर दी गई है, प्रदेश में लोकतंत्र की विफलता का सबसे बड़ा नमूना है। राज्य के पास टीका खरीदने के लिए पैसा नहीं है ऐसे में उचित होगा कि ग़ैरजिम्मेवार सरकार को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए
विदित है कि 18 + आयु समूह के लिए कोरोना टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार ने विभिन्न वर्गों की विभेदीकृत नीति अपनाकर एपीएल, बीपीएल अंत्योदय में बांटकर अनुपातिक आधार पर टीका लगवाया जा रहा है । जिसका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर पूरी तरह असफल रहा । उक्त मामले में माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका माननीय हाईकोर्ट में आश्चर्य व्यक्त किया है ।
मा. हाईकोर्ट में जारी जनहित याचिका में देशव्यापी एकीकृत स्वरूप के बावजूद विभिन्न वर्गों में टीकाकरण की प्रासंगिकता के संदर्भ में छत्तीसगढ़ सरकार सरकार शपथ पत्र नहीं दे पा रही कि पूरे देश में यह अनोखा निर्णय उक्त वर्गीकरण आधारित किसने किया?साफ है कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने टीकाकरण के राष्ट्रीय कार्यक्रम को प्रदेश में सामाजिक वर्गों को आर्थिक आधार पर वर्गीकृत करके विभिन्न वर्गों के बीच खाई पैदा कर दी।
टीकाकरण केंद्रों पर हालात है कि अंत्योदय हेतु निर्धारित टीकाकरण केंद्र पर वैक्सीन होने के बावजूद हितग्राही नहीं पहुंच पा रहे हैं और एपीएल केंद्रों पर वैक्सीन नहीं बच पा रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर पंजीयन के लिए कोविन ऐप बनाया गया है उसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने अपना ऐप बनाया जिसमें पंजीयन करवाना मतलब बिल्ली के गले में घंटी डालने के समान है। ढूंढो मशक्कत के बाद भी पंजीयन नहीं हो पा रहा है । केंद्र निर्धारण और शेड्यूल की जानकारी भी आज दिनांक तक दुरुस्त नहीं हो पा रही है। रातो रात टीका ऐप बनाने वाले अफसर सुर्खियों से गायब हो गए हैं।
– अकारण राज्य में ऐसे सविंदा पर आधारित ऑफिसर को स्वास्थ्य सचिव का जिम्मा दे दिया गया जिन्होंने रातों-रात सरकार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरी कर ऐप तो बना दिया पर ऐप में पंजीयन एवं कार्य संचालन के समय में गायब हो गए ज्ञातव्य हो कि ऑफिसर नान घोटाले के आरोपी हैं और सेवानिवृत्त होने के बावजूद संविदा पर सरकार में कार्य कर रहे हैं।स्पस्ट है कि राज्य सरकार नौकरशाही का दुरुपयोग कर लोगों की जान माल के साथ खिलवाड़ कर रही है। भाजयुमो पदाधिकारी ने टूलकिट के मामले में ट्वीट कर कहा कि-
टूल किट नही हुआ फिट
पकड़ा गया इनका खुला चिट
नकली गांधी राहुल एहसान
छल झूठ फरेब कांग्रेसकी पहचान”
– माननीय उच्च न्यायालय में वर्गीकरण के संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करने की स्थिति में सरकार आनाकानी कर रही है और समय मांग रही है जिससे किसी तरह से मामले को टाला जाए.जनता की सेवा को छोड़कर अपना चेहरा चमकाने के चक्कर में सरकार ने छत्तीसगढ़ की 2 करोड जनता के साथ अत्यंत वीभत्स निर्णय किया है।
– सरकार के पास नागरिकों के लिए टीका खरीदने हेतु पैसा नहीं है यह राज्य में वित्तीय आपात की स्थिति है। केंद्रीय निर्देश के बावजूद टीके की खरीदी है हेतु ग्लोबल टेंडर नहीं निकाला जा रहा है। राजू की ढाई कारणों से भी ज्यादा की आबादी के स्वास्थ की सुरक्षा में सरकार बिल्कुल गंभीर नही है बल्कि मुफ्त खोरी की घोषणाओं में पैसे बांटे जा रहे हैं।
– टीकाकरण सदृश संवेदनशील मुद्दे पर राज्य सरकार के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में सक्षम प्राधिकारी के स्तर पर आज दिनांक तक शपथ पत्र नहीं दिया जाना सरकार की असलियत का स्वत: खुलासा है।इस बीच अनेक परिवारों में मौत का सिलसिला जारी है जिसके लिए राज्य सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं।
– कोविड-19 से हो रही मौतों के लिए सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की अनुग्रह राशि नहीं दिया जाना अपने आप में सरकार की संवेदनहीनता का सबसे बड़ा परिचायक है। मातृ राज्य मध्यप्रदेश एवं दिल्ली में ही कोविड-19 से हो रही मौतों के लिए आश्रितों को मुआवजा व पेंशन दिया जाना शुरू किया गया रहा है छत्तीसगढ़ की सरकार गोबर खरीदी और दारू बिक्री में व्यस्त है।
राजभवन के निर्देश के बावजूद जिलों के प्रभारी मंत्री/सचिव अपने क्षेत्र में ध्यान नहीं दे रहे हैं।
– राज्य में 13000 लोग सरकारी आंकड़ों के अनुसार में कोविड-19 के गाल में समा चुके हैं लेकिन वास्तविक आंकड़े इससे कहीं बहुत ज्यादा है।
-छत्तीसगढ़ में हालात सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं,राज्य की सरकार अपने राजनीतिक इरादों को जनता थोप कर विपक्ष के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेताओं पर महामारी के समय मामले दर्ज कर अत्याचार कर रही है ।
-लोक व्यवस्था की आड़ लेकर
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह पर आईपीसी की धारा 504, 504 बी, 188 के अंतर्गत बिना विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति लिए एफ आई आर घर में नजरबंद कर दिया गया है।यह लोकतंत्र की विफलता है।
– टूल किट मामले में बिना जांच किए भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज कर राज्य सरकार राजनीति का घिनौना खेल रही खेल है।
– देश के संघीय ढांचे पर राज्य सरकार कुठाराघात करने में कोई मौका नहीं छोडती। केंद्रीय एजेंसियों पर राज्य सरकार को विश्वास नहीं है।
देश के अंदर छत्तीसगढ़ सरकार पृथक देश की तरह व्यवहार कर रही है।
आपसे आग्रहः है छत्तीसगढ़ में वित्तीय हालात राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं है, लोक शांति और लोक कल्याण के कार्यो को भी सरकार करने में पूरी तरह विफल रही है अतएव छ ग की जनता के हित में अविलंब राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने की अनुसंशा राष्ट्रपति महोदय करने की असीम कृपा करेंगे।