नई दिल्ली । कोरोना के मोर्च पर कुछ राहत के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। अगर देश में सक्रिय मामलों के ग्राफ पर नजर डालें तो यह अब नीचे की ओर आता दिख रहा है। यकीनी तौर पर तो नहीं मगर हां, इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि दूसरी लहर की मार धीमी पड़ रही है। दूसरी लहर के कमजोर पड़ने की पुष्टि कई आंकड़े भी कर रहे हैं। अगर संक्रमण दर और नए मामले सामने आने की रफ्तार पर नजर डालें तो भी हम यह कह सकते हैं कि कुछ राहत मिल रही है। 19 मई को कोरोना के 267334 नये मामले सामने आए, जबकि 13 मई को 362727 नए मरीज मिले थे। इन सात दिनों के दौरान एक दो बार आंकड़ों में उछाल आया मगर कुल मिलाकर ट्रेंड गिरता रहा। खास बात यह है कि इस दौरान टेस्टिंग में कमी नहीं की गई। औसत प्रतिदिन टेस्टिंग 17 लाख के आसपास बनी रही। 18 मई तो भारत ने रिकॉर्ड बीस लाख से ज्यादा टेस्ट किए, जिसकी जानकारी सरकार ने 19 मई के आंकड़ों के साथ अगले दी। राहत का अहसास दिलाता एक और आंकड़ा सामने आया है। संक्रमण दर में भी बीते एक सप्ताह के दौरान काबिलेगौर गिरावट दर्ज की गई है। बीते 13 मई को जहां संक्रमण दर 19.5 थी, वहीं 19 मई को यह 13.3 फीसदी पर आ गई। यह गिरावट करीब छह अंकों की है। तो अब अगर हम संक्रमण दर, सक्रिय मरीजों और नए मामलों के ट्रेंड को देखें तो यह कह सकते हैं कि दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है। देश में बुधवार को चौबीस घंटों के भीतर 20,08,296 जांचें हुईं जो अब तक एक दिन के भीतर की गईं सर्वाधिक जांचें हैं। हाल में आईसीएमआर ने बताया था कि भारत ने अपनी कोरोना जांच क्षमता को बढ़ाकर 25 लाख प्रति दिन कर दिया है। हालांकि आवर वर्ल्ड इन डेटा के मुताबिक, हर एक हजार आबादी पर भारत में मात्र 1.3 जांचें हो रही हैं, जबकि अमेरिका में 2.17, ब्रिटेन में 8.75, कनाडा में 3.17, फ्रांस में 5.45, रूस में 2.04 जांचें हो रही हैं। चौंकाने की बात यह है कि यूरोप के एक छोटे से देश चेकिया गणराज्य में एक हजार आबादी पर दुनिया में सबसे ज्यादा 16.96 जांचें हो रही हैं।