कोरबा समाजसेवी एवं उन्नयन संस्था के संस्थापक एल.एन. कड़वे जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। श्री कड़वे स्वास्थ्य खराब होने की वजह से 10 मई से जिला चिकित्सालय में भर्ती हैं। जिंदगी की अंतिम घड़ियां गिन रहे श्री कड़वे के समर्थकों एवं शुभचिंतकों ने लॉकडाउन की वजह से घर पर बैठकर ही उनकी सलामती के लिए दुआओं प्रार्थनाओं का दौर शुरू कर दिया है।
श्री कड़वे के संबंध में जानकारी मिलते ही उनका हाल जानने राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और सभापति श्यामसुंदर सोनी जिला अस्पताल पहुंचे । यहां उन्होंने डॉक्टर से चर्चा करने के बाद श्री कड़वे से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेकर उनकी सलामती के लिए ईश्वर से कामना की ।
*श्री कड़वे से मिलने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी भी आये थी कोरबा
सन 1961 से कोरबा की धरती को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले श्री कड़वे क्रांतिकारी विचारधारा के हैं। समाज को आईना दिखाती उनकी दर्जनों रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। मीसाबंदी के समय स्वतंत्रता सेनानी (फ्रीडम फाइटर ) रहे श्री कड़वे ने सन 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान भी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को तार भेजकर आपातकाल का विरोध किया था। ऐसा करने वाले श्री कड़वे उस दौर के जिले के एकमात्र शख्स थे। उस समय पुलिस तार को देखकर तय करती थी कि कौन से तार भेजे जाने योग्य है। श्री कड़वे के 52 दिनों के कठिन अनशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक ऐसी हलचल मचाई कि स्वयं प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी श्री कड़वे से मिलने कोरबा आयी थी। यहाँ के सीएसइबी स्थित रशियन हॉस्टल में इंदिरा गांधी ने एल.एन. कड़वे से मुलाकात की और अनशन खत्म करने का निवेदन किया। लेकिन मजबूत और फौलादी इरादों वाले श्री कड़वे ने अपना कदम पीछे हटाने से साफ इंकार कर दिया । इसके उपरांत आपातकाल में अनशन करने के जुर्म में उन्हें जेल भेज दिया गया था। इसी के चलते उन्हें मीसा बंदी भी कहा गया।
*जारी है प्रार्थना और दुआओं का दौर
समाजसेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले श्री कड़वे के स्वास्थ्य खराब होने की सूचना मिलने पर लॉकडाउन कोविड-प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनके शुभचिंतकों और समर्थकों ने दुआएं प्रार्थनाएं शुरू कर दी है।