नई दिल्ली । कोरोना संक्रमित व्यक्ति जिन्हें स्वाद और गंध का एहसास नहीं हो रहा है, उनके लिए राहत भरी खबर है, ये मरीज गंभीर होने के खतरे से दूर हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 220 मरीजों पर हुए रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है। शोधकर्ता डॉ. हरेन्द्र कुमार का कहना है कि रिसर्च के लिए दो कैटेगरी बनाई गई है। इसमें एक कैटेगरी में उन मरीजों को लिया गया है, जिन्हें स्वाद और गंध नहीं मिल रही थी। दूसरे एक कैटेगरी उन मरीजों की थी जिन्हें स्वाद और गंध मिल रही थी। इन दोनों में तुलानात्मक अध्ययन करने पर पता चला, कि स्वाद और गंध नहीं पाने वाले कुल नौ मरीज भर्ती हुए और जिन्हें स्वाद और गंध मिल रही थी, उस तरह के 34 लोग अस्पताल में भर्ती हो गए।इसमें आठ लोगों की मौत भी हो गई।
शोधकर्ता ईएनटी विभाग के डॉ.कुमार का कहना है, कि रिसर्च में देखा जाना था कि कोरोना का हमला स्वाद और गंध पर किस तरह असर डालता है। मरीज किस हद तक गंभीर होते हैं। डॉ. कुमार का कहना है कि मेरठ मेडिकल कालेज ने भी इस पर रिसर्च किया जा रहा है, यहां भी लगभग 50 मरीजों में इस तरह की फाइंडिंग मिली है। इस विषय पर वह रिसर्च पेपर लिख रहे हैं।
डॉ. कुमार का कहना है कि स्वाद और गंध नहीं पाने वाले अधिकतर मरीजों को सामान्य दवाओं और होम आइसोलेशन पर रखा गया। जिसके बाद वहां 10 से 15 दिन के अंदर कोरोना निगेटिव हो गए। हालांकि स्वाद और गंध नहीं मिलने की शिकायत कुछ को महीने भर किसी में डेढ़ महीने बनी रही। डॉ.कुमार का कहना है कि जांच में पता चला कि नाक में पाए जाने वाले ओलिफेक्टिटरी ग्रंथि पर कोरोना का जबरदस्त हमला हुआ। कोरोना वायरस यही ठहरा रहा और न वह ब्रेन की ओर जा सका और न ही फेफड़े में उतर सका। इसमें ब्रेन और श्वसन तंत्र सुरक्षित रहे। मरीज एक्यूट आर्गन फेल्योर से बचे रहे।