भोपाल । उपनगर बैरागढ़ में अब कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है। यही वजह है कि यहां कोविड डेडीकेटेड अस्पतालों में आक्सीजन बेड भी मिलने लगे हैं। लगातार जागरूकता अभियान चलने के कारण अब लोग शुरूआती लक्षण दिखने पर ही इलाज कराने लगे हैं, इससे अस्पतालों में भीड़ कम हुई। 10 दिन पहले तक बैरागढ़ के किसी भी अस्पताल में बेड आसानी से नहीं मिल रहे थे। आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हो गई। दो लोगों ने तो बेड मिलने के इंतजार में वाहन में ही दम तोड़ दिया था। अब स्थिति बदल रही है। चिकित्सकों के मुताबिक संक्रमित मरीज तो अब भी आ रहे हैं पर अच्छी बात यह है कि लोग जागरूक हो गए हैं। जांच रिपोर्ट आने से पहले ही इलाज शुरू कर देने से लोगों को घर पर रहकर ही स्वास्थ्य लाभ मिलने लगा है। यहां कोविड केयर सेंटरों पर भी मरीजों की कतारें कम हो गई हैं। मान्यता प्राप्त कोविड अस्पतालों में भी कोराना ओपीडी की संख्या आधी रह गई है। डीके अस्पताल एवं राजदीप अस्पताल में बेड मिलने लगे हैं। कोविड केयर सेंटर केटी शाहानी स्कूल में भी स्थिति ठीक है। इस बारे में राजदीप अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. राजेश वलेचा का कहना है कि पहले हमारे लिए सभी मरीजों को देखना मुश्किल होता था। आक्सीजन बेड मिलना भी कठिन था क्योंकि बेड सीमित हैं। अब कई मरीज स्वस्थ हो रहे हैं, साथ ही नए गंभीर मरीज कम हो रहे हैं इसलिए बेड उपलब्धता जटिल नहीं रह गई है। यदि लोग शुरूआत में ही अलग रहकर इलाज शुरू कर दें तो संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है। डीके अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. दुर्गेश खेमचंदानी का कहना है कि कोविड मरीजों की संख्या 30 फीसद तक कम हुई है। रिकवरी रेट भी बढ़ा है, इस कारण बेड उपलब्धता आसान हुई है। लोग घबराहट में अपनी तबीयत खुद खराब कर बैठते हैं। घबराहट में आक्सीजन स्तर कम हो जाता है। मरीज के साथ स्वजन भी घबरा जाते हैं। आत्मबल के साथ तत्काल इलाज किया जाए तो कोरोना को हराना आसान है। बस लापरवाही न करें।